कुछ लोग सवाल कर रहे हैं कि आम आदमी पार्टी ने कुमार विश्वास और आशुतोष जैसे नेताओं की जगह दो अन्य ‘अनजान’ व्यक्तियों को राज्य सभा में भेजने का निर्णय क्यों किया ?
दरअसल वे लोग अरविंद केजरीवाल की कुछ समस्याएं समझ नहीं पा रहे हैं ।ऐसी समस्याएं पार्टी को चलाने वाले किसी नेता के समक्ष ही आती हंै।अब तो हर पार्टी को एक ‘चंदा बटोरू’ चाहिए और दूसरा उस चंदे का हिसाब रखने वाला ।
आयकर विभाग ‘आप’ को कुछ करोड़ रुपए के चंदे का हिसाब देने के लिए अब तक सिर्फ 34 बार मौका दे चुका है।पार्टी शायद जवाब नहीं दे सकी है।
उस नोटिस से मुक्ति पाने का रास्ता कुमार विश्वास की कविता से तो मिलेगा नहीं ! कोई सी.ए.ही बता सकता है।
किसी सी.ए. साहब को अलग से फीस न देनी पड़े, इसलिए राज्य सभा की सीट दे दो।वह तो मुफ्त में अरविंद केजरीवाल के पास उपलब्ध है। कोई नेता गंभीर मुकदमे में फंसता है तो किसी वकील को राज्य सभा में पहुंचा ही तो देता है !
‘आप’ तो ‘पार्टी विथ ए डिफरेंस’ का तमगा खुद ही बहुत पहले ही अपने सीने से नांेच कर फेंक चुकी है।
वैसे भी ‘भाजपा बनाम शत्रुघ्न सिंहा’ के अनुभव के बाद कोई पार्टी किसी ‘फ्री थिंकर’ या ‘फ्रीलांसर’ को संसद में भला क्यों भेजेगी ? फ्री थिंकर लोग किसी भी पार्टी के लिए देर -सवेर सिरदर्द साबित हो जाते हैं।कभी राज्य सभा में रहते हुए,कभी राज्य सभा का अगली बार टिकट न मिलने पर।
भविष्य गड़गड़ देख कर कुछ लोग बीच में ही पार्टी का साथ छोड़ जातेे हैं।
दरअसल वे लोग अरविंद केजरीवाल की कुछ समस्याएं समझ नहीं पा रहे हैं ।ऐसी समस्याएं पार्टी को चलाने वाले किसी नेता के समक्ष ही आती हंै।अब तो हर पार्टी को एक ‘चंदा बटोरू’ चाहिए और दूसरा उस चंदे का हिसाब रखने वाला ।
आयकर विभाग ‘आप’ को कुछ करोड़ रुपए के चंदे का हिसाब देने के लिए अब तक सिर्फ 34 बार मौका दे चुका है।पार्टी शायद जवाब नहीं दे सकी है।
उस नोटिस से मुक्ति पाने का रास्ता कुमार विश्वास की कविता से तो मिलेगा नहीं ! कोई सी.ए.ही बता सकता है।
किसी सी.ए. साहब को अलग से फीस न देनी पड़े, इसलिए राज्य सभा की सीट दे दो।वह तो मुफ्त में अरविंद केजरीवाल के पास उपलब्ध है। कोई नेता गंभीर मुकदमे में फंसता है तो किसी वकील को राज्य सभा में पहुंचा ही तो देता है !
‘आप’ तो ‘पार्टी विथ ए डिफरेंस’ का तमगा खुद ही बहुत पहले ही अपने सीने से नांेच कर फेंक चुकी है।
वैसे भी ‘भाजपा बनाम शत्रुघ्न सिंहा’ के अनुभव के बाद कोई पार्टी किसी ‘फ्री थिंकर’ या ‘फ्रीलांसर’ को संसद में भला क्यों भेजेगी ? फ्री थिंकर लोग किसी भी पार्टी के लिए देर -सवेर सिरदर्द साबित हो जाते हैं।कभी राज्य सभा में रहते हुए,कभी राज्य सभा का अगली बार टिकट न मिलने पर।
भविष्य गड़गड़ देख कर कुछ लोग बीच में ही पार्टी का साथ छोड़ जातेे हैं।
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