मंगलवार, 24 मार्च 2020

1962 के बाद कितना बदले हैं हमारे हुक्मरान ?
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  सन् 2020
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आज के दैनिक भास्कर,पटना की खबर का शीर्षक है-  
‘‘जू.डाॅक्टरों ने कहा हमें भी क्वारेंटाइन में भेजिए।
मास्क,ग्लब्स न मिलने से पीएमसीएच और एनएमसीएच 
के जूनियर डाक्टर नाराज।’’
अब जरा सन् 1962 याद कीजिए जब चीन ने भारत पर हमला किया था।
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सन 1962
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युद्ध संवाददाता मन मोहन शर्मा के शब्दों में पढ़िए--
  ‘‘मुझे याद है कि हम युद्ध के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थे।
 हमारी सेना के पास अस्त्र,शस्त्र की बात छोड़िये,कपड़े तक नहीं थे।
 नेहरू जी ने कभी सोचा ही नहीं था कि 
चीन  हम पर हमला करेगा।
एक दुखद घटना का उल्लेख करूंगा।
अंबाला से 200 सैनिकों को एयर लिफ्ट किया गया था।
उन्होंने सूती कमीजें और निकरें पहन रखी थीं।
उन्हें बोमडीला में एयर ड्राप कर दिया गया
जहां का तापमान माइनस 40 डिग्री था।
वहां पर उन्हें गिराए जाते ही ठंड से सभी बेमौत मर गए।
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     बदलाव
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हां, इस बीच एक बदलाव जरुर आया है।
1962 की अपेक्षा इस देश-प्रदेश के हमारे अधिकतर सत्ताधारी-प्रतिपक्षी नेता-अफसर गण कथित जायज -नाजायज पैसों से काफी सुखी-संपन्न
हो चुके हैं।
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    कोरोना से जंग
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चीन के खिलाफ जंग के समय तो कोई देश मदद को भी 
आ सकता था।
पर, कोरोना के खिलाफ जंग में तो सारे देश खुद ही परेशान हैं।
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उपाय
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सांसद क्षेत्र विकास फंड पर अभी हर साल 1795 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं।अधिकांश राशि लूट में चली जाती है।
उसे तत्काल बंद कर उन पैसों को इस देश की स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने में लगाइए।
 सांसद फंड इस देश में न खत्म होते भ्रष्टाचार के लिए 
‘‘रावणी अमृत कुंड’’ साबित हो रहा है।
यदि इसे अब भी बंद नहीं कीजिएगा तो यह संशोधित नारा लगेगा कि 
‘‘मोदी है तो सब कुछ मुमकिन है,
पर सांसद फंड की समाप्ति की बात छोड़कर।’’
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 ----सुरेंद्र किशोर--24 मार्च 2020

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