सोमवार, 30 मार्च 2020

एक खास सबक

जो लोग रोजी-रोटी के लिए अपने गांव छोड़ कर शहर
जाते हैं, उनके लिए कोराना महामारी की ओर से 
एक खास सबक !!

जब तक शहर में आपका अपना घर न हो जाए, दुर्दिन में भी खाने -पीने का वहां पक्का साधन न हो जाए, तब तक गांव की जमीन मत बेचिए।

दुर्दिन में वही जमीन, वही गांव काम आएंगे। गांव के पड़ोसी को पता चल जाए कि बगल के किसी के घर में अभाव के कारण चूल्हा नहीं जल रहा है तो उसकी मदद के लिए आज भी कई सामने आ जाएंगे। गांव की हालत इधर थोड़ी बिगड़ी जरूर है, बुजुर्गों के सामूहिक अभिभावकत्व को युवकों द्वारा कई जगह नकारा जा रहा है। फिर भी इतनी नहीं बिगड़ी है कि कोई भूखा सोए।

कोरोना संकट को भारत सरकार और अनेक लोगों ने 
मिलकर सीमित साधनों के बावजूद यहां आंधी नहीं बनने दिया है। कुछ अन्य देशों में महामारी की आंधी चल रही है।  इसलिए हम देर -सवेर कोरोना से तो निपट ही लेंगे, यदि सारे लोग संयम बरतें। अधिकतर लोग बरत भी रहे हैं। पर,मेरा अनुमान है कि आगे एक अन्य बड़ा संकट आ सकता है !

उस संकट के बारे में सार्वजनिक चर्चा अभी ठीक नहीं।
हां, वह संकट भी शहर केंद्रित ही अधिक होगा। 
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---सुरेंद्र किशोर --30 मार्च 2020

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