हरिवंश के लिए शुभकामनाएं
..................................
हरिवंश को दुबारा राज्य सभा के लिए उम्मीदवार
बनाने को लेकर कई लोग
आशंकित थे।
ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि नीतीश कुमार ऐसी घोषणाएं
समय से पहले नहीं करते।
इसलिए संभवतः उनके आसपास भी ऐसी
कोई चर्चा तक नहीं होती।
पर, मुझे हमेशा यह लगा कि हरिवंश दुबारा वहां जाएंगे।
हाल में मैंने दो -तीन पत्रकार मित्रों से ऐसा कहा भी था।
उप सभापति बनाने का मतलब ही था कि उन्हें आगे
भी अवसर मिलेगा ।
क्योंकि नीतीश कुमार आगे देखकर
ही कोई निर्णय करते हैं।
वैसे भी राजनीति में हरिवंश जैसे नेता कम हैं।
ऐसे लोगों की तलाश में नीतीश कुमार रहते हैं।
यह और बात है कि वैसे कम ही लोग मिलते हैं जिनका
कोई निजी एजेंडा न हो।
मिलते भी हैं तो कई बार नेता को निराश करते हैं।
मेरा नीतीश कुमार से कोई निरंतर संपर्क नहीं है।
फिर भी उन्हें मैं दशकों से जानता रहा हूं।
मुख्य मंत्री के रूप में उनकी राजनीति व प्रशासनिक
कार्य शैली को भी दूर से देखता रहा हंू।
उसमें हरिवंश फिट बैठते हैं।
हरिवंश योग्य व्यक्ति हैं।
अच्छे वक्ता हैं।
अत्यंत सफल संपादक रहे हैं।
मृदुभाषी हैं।
बारी से पहले नहीं बोलते।
बिना मांगे कोई सलाह नहीं देते।
मीडिया में गैर जरूरी बयान नहीं देते।
सांसद फंड को लेकर कई बार कई अच्छे से अच्छे सांसद
भी विवादों में पड़ जाते हैं।
उससे बचने के लिए हरिवंश ने अपना पूरा फंड आर्यभट्ट
विश्व विद्यालय को दे दिया।
हरिवंश में और भी गुण हैं।,
बाकी बातें उनके जीवनी लेखक के लिए छोड़ता हूं।
मुझे लगता है कि वे और भी ऊपर जाएंगे।
उनका जीवन कई लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन सकता है,
यदि कोई ऐसा चाहे।
कमियां हर मनुष्य में है।
मुझमें, आपमें और हरिवंश में भी।
पर, जिनमें सबसे कम कमियां होती हैं,
उन्हें लोग पसंद करते हैं।
मैं भी हरिवंश को पसंद करता हूं।
प्रभाष जोशी भी उन्हें पसंद करते थे।
इसलिए भी कि हम एक पेशे में रहे हैं।
हरिवंश के उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामना
और आशीर्वाद देता हूं।
वे मुझसे कद में भले बहुत बड़े हैं,
पर उम्र में तो छोटे ही हैं।
उन्होंने अपनी मेहनत और प्रतिभा से ही उपलब्धियां
हासिल की हैं।
पत्रकार के रूप में उनसे मुझे भी कभी -कभी ईष्र्या
होती रही है।
पर, मेरा उनसे भला क्या मुकाबला !
---सुरेंद्र किशोर--12 मार्च 2020
..................................
हरिवंश को दुबारा राज्य सभा के लिए उम्मीदवार
बनाने को लेकर कई लोग
आशंकित थे।
ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि नीतीश कुमार ऐसी घोषणाएं
समय से पहले नहीं करते।
इसलिए संभवतः उनके आसपास भी ऐसी
कोई चर्चा तक नहीं होती।
पर, मुझे हमेशा यह लगा कि हरिवंश दुबारा वहां जाएंगे।
हाल में मैंने दो -तीन पत्रकार मित्रों से ऐसा कहा भी था।
उप सभापति बनाने का मतलब ही था कि उन्हें आगे
भी अवसर मिलेगा ।
क्योंकि नीतीश कुमार आगे देखकर
ही कोई निर्णय करते हैं।
वैसे भी राजनीति में हरिवंश जैसे नेता कम हैं।
ऐसे लोगों की तलाश में नीतीश कुमार रहते हैं।
यह और बात है कि वैसे कम ही लोग मिलते हैं जिनका
कोई निजी एजेंडा न हो।
मिलते भी हैं तो कई बार नेता को निराश करते हैं।
मेरा नीतीश कुमार से कोई निरंतर संपर्क नहीं है।
फिर भी उन्हें मैं दशकों से जानता रहा हूं।
मुख्य मंत्री के रूप में उनकी राजनीति व प्रशासनिक
कार्य शैली को भी दूर से देखता रहा हंू।
उसमें हरिवंश फिट बैठते हैं।
हरिवंश योग्य व्यक्ति हैं।
अच्छे वक्ता हैं।
अत्यंत सफल संपादक रहे हैं।
मृदुभाषी हैं।
बारी से पहले नहीं बोलते।
बिना मांगे कोई सलाह नहीं देते।
मीडिया में गैर जरूरी बयान नहीं देते।
सांसद फंड को लेकर कई बार कई अच्छे से अच्छे सांसद
भी विवादों में पड़ जाते हैं।
उससे बचने के लिए हरिवंश ने अपना पूरा फंड आर्यभट्ट
विश्व विद्यालय को दे दिया।
हरिवंश में और भी गुण हैं।,
बाकी बातें उनके जीवनी लेखक के लिए छोड़ता हूं।
मुझे लगता है कि वे और भी ऊपर जाएंगे।
उनका जीवन कई लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन सकता है,
यदि कोई ऐसा चाहे।
कमियां हर मनुष्य में है।
मुझमें, आपमें और हरिवंश में भी।
पर, जिनमें सबसे कम कमियां होती हैं,
उन्हें लोग पसंद करते हैं।
मैं भी हरिवंश को पसंद करता हूं।
प्रभाष जोशी भी उन्हें पसंद करते थे।
इसलिए भी कि हम एक पेशे में रहे हैं।
हरिवंश के उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामना
और आशीर्वाद देता हूं।
वे मुझसे कद में भले बहुत बड़े हैं,
पर उम्र में तो छोटे ही हैं।
उन्होंने अपनी मेहनत और प्रतिभा से ही उपलब्धियां
हासिल की हैं।
पत्रकार के रूप में उनसे मुझे भी कभी -कभी ईष्र्या
होती रही है।
पर, मेरा उनसे भला क्या मुकाबला !
---सुरेंद्र किशोर--12 मार्च 2020
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें