समय की जरुरत !
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भारतीय संविधान के अनुच्छेद-319 के अनुसार,
संघ लोक सेवा और राज्य लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष या संदस्य
केंद्र या राज्य सरकार के अधीन किसी अन्य नियोजन का पात्र नहीं होगा।
इस प्रावधान का विस्तार हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के प्रधान व सामान्य
जजों और अन्य महत्वपूर्ण सेवाओं के लोगों
तक किया जाना चाहिए।
वैसे तो सुप्रीम कोर्ट ने गत साल सांसदों व विधायकों को ‘पब्लिक सर्वेंट’
मानने से इनकार कर दिया।
ऐसा करने की मांग जनहित याचिका के जरिए
अश्विनी उपाध्याय ने की थी।
फिर भी ऐसा करने का संवैधानिक उपाय जरुर
होना चाहिए।
यह समय की जरुरत है।
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---सुरेंद्र किशोर --18 मार्च 2020
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भारतीय संविधान के अनुच्छेद-319 के अनुसार,
संघ लोक सेवा और राज्य लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष या संदस्य
केंद्र या राज्य सरकार के अधीन किसी अन्य नियोजन का पात्र नहीं होगा।
इस प्रावधान का विस्तार हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के प्रधान व सामान्य
जजों और अन्य महत्वपूर्ण सेवाओं के लोगों
तक किया जाना चाहिए।
वैसे तो सुप्रीम कोर्ट ने गत साल सांसदों व विधायकों को ‘पब्लिक सर्वेंट’
मानने से इनकार कर दिया।
ऐसा करने की मांग जनहित याचिका के जरिए
अश्विनी उपाध्याय ने की थी।
फिर भी ऐसा करने का संवैधानिक उपाय जरुर
होना चाहिए।
यह समय की जरुरत है।
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---सुरेंद्र किशोर --18 मार्च 2020
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