बुधवार, 4 मार्च 2020

हमारे नेता वोट के लिए 
 कुछ भी करेंगे !!!!!
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--सुरेंद्र किशोर--
जब अवैध घुसपैठियों के वोट वाम 
मोरचा को मिलते थे
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4 अगस्त, 2005 को ममता बनर्जी ने लोक सभा के स्पीकर
के टेबल पर कागज का पुलिंदा फेंका।
उसमें अवैध बंगला
देशी घुसपैठियों को  मतदाता बनाए जाने के सबूत थे।
उनके नाम गैरकानूनी तरीके से मतदाता सूची में शामिल करा दिए गए थे।
ममता ने कहा कि घुसपैठ की समस्या राज्य में महा विपत्ति बन चुकी है।
इन घुसपैठियों के वोट का लाभ वाम मोर्चा उठा रहा है।
उन्होंने  उस पर सदन में चर्चा की मांग की।
चर्चा की अनुमति न मिलने पर ममता ने सदन की सदस्यता
 से इस्तीफा भी दे दिया था।
 चूंकि एक प्रारूप में विधिवत तरीके से इस्तीफा तैयार नहीं था,
इसलिए उसे मंजूर नहीं किया गया।
दृश्य -2
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जब घुसपैठियों के वोट ममता 
बनर्जी को मिलने लगे
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3 मार्च 2020
..............पश्चिम बंगाल की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि 
जो भी बंगला देश से यहां आए हैं,बंगाल में रह रहे हैं ,
चुनाव में वोट देते रहे हैं, वे सभी भारतीय नागरिक हैं।
इससे पहले सीएए,एनपीआर और एन आर सी के विरोध में 
ममता ने कहा कि इसे लागू करने पर गृह युद्ध हो जाएगा । 
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पिछले दिनों पश्चिम बंगाल से भाजपा सांसद ने संसद में कहा 
कि पश्चिम बंगाल के कुछ इलाकों में हिंदुओं को त्योहार मनाने के 
लिए अब स्थानीय इमाम से अनुमति लेनी पड़ती है।
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कई साल पहले इंडियन एक्सप्रेस में एक खबर छपी थी।
उसमें एक गांव की कहानी थी।
वह गांव बंगला देशी मुस्लिम घुसपैठियों के कारण
 मुस्लिम बहुल बन चुका था।
वहां हिंदू लड़कियां हाॅफ पैंट पहने कर 
हाॅकी खेला करती  थी।
पर, अब मुसलमानों ने उनसे कहा कि फुल पैंट 
पहन कर ही खेल सकती हो।
खेल रुक गया है।
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यह बात तब की है जब बुद्धदेव भट्टाचार्य मुख्य मंत्री थे।
उनका एक बयान जनसत्ता में छपा।
उन्होंने कहा था कि घुसपैठियों के कारण सात जिलों में 
सामान्य प्रशासन चलाना मुश्किल हो गया है।
बाद में उन्होंने उस बयान का खुद ही खंडन कर दिया।
पता चला कि पार्टी हाईकमान
के दबाव में कह दिया कि मैंने वैसा कुछ कहा ही नहीं था।
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कई दशक पहले मांगने पर वाम मोरचा सरकार ने केंद्र
 सरकार को 
सूचित किया था कि 40 लाख अवैध बंगलादेशी पश्चिम 
बंगाल में रह रहे हैं।
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अनुमान लगाइए कि अब 2020 में वह संख्या
 कितनी बढ़ चुकी होगी !!!! 
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4 मार्च 2020

  


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