शुक्रवार, 27 मार्च 2020

  सुबह में मेरे यहां जो नौजवान अखबार पहुंचाता है,वह दिन में राज मिस्त्री का काम करता है।
 वह यहीं पास के किसी गांव का निवासी है।
इसलिए मुझे तो अधिकतर अखबार अब भी मिल जा रहे हैं।
पटना और आसपास के अधिकतर न्यूजपेपर्स हाॅकरों का यही हाल है।
जो हाॅकर पटना का ही है,वह तो फिर भी अखबार पहुंचाता रहेगा।
पर, जो सुदूर गांवों से काम करने यहां आया है,उसका तो मूल काम  इन दिनों बंद है।
सिर्फ अखबार बांटने से उसका काम नहीं चलेगा।
इसलिए उनमें से अनेक  अपने गांव लौट गए हैं।
  अनेक पाठकों को  अखबार न मिलने का यह भी एक कारण हे।
  अभी तो कोरोना के कारण ‘बंदी’ चल रही है।
कल होकर किसी अन्य गंभीर कारणों से लंबी बंदी हो जाए !
फिर अखबार सबके पास तक कैसे पहुंचाए जा सकेंगे  ?
अखबार प्रबंधन, थोक न्यूज पेपर्स बिक्रेता
और खुदरा अखबार बिक्रेताओं को मिलजुल कर इस समस्या पर अभी से  विचार करना होगा।
--सुरेंद्र किशोर--26 मार्च 2020

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