जड़ों की ओर लौटने की मजबूरी !!
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हाल के वर्षों में पहले ‘योग’ दुनिया में और अधिक फैला,
फिर नमस्ते का प्रचलन बढ़ा !
अब ताजा खबर यह है कि दाल-भात दुनिया
का सबसे अच्छा भोजन है।
यह मैं नहीं कह रहा हूं।
मशहूर पत्रिका ‘नेचर’ में दाल-भात के बारे में यह बात
कही गई है।
इस पर रिसर्च हुआ था।
यह खबर आज के ‘राष्ट्रीय सहारा’ में है।
असली ‘‘आइडिया आॅफ इंडिया’’ तो यही सब है न !!
गाय, गंगा और पीपल-नीम असली आइडिया आॅफ इंडिया ही है।
मुगलों और अंग्रेजों ने भी गंगा की निर्मलता-अविरलता
पर चोट नहीं पहुंचाई थी।
अकबर तो रोज ही गंगा जल पीता था।
पर, आजादी के बाद हमारे हुक्मरानों ने धीरे -धीरे गंगा को नाला में
परिवत्र्तित कर दिया।
औषधीय गुणों वाली ऐसी नदी दुनिया में कहीं
और होती तो वहां के शासक
सचमुच उसे मां की तरह रखते ।
पर, जिन भारतीय शासकांे ने भारत की सारी मूल चीजों-बातों को
हिकारत भरी नजरों से
देखा,उनके बारे में क्या कहा जाए !
यहां तक कि सरकारी खर्चे पर पीपल का पौधा
लगाने पर भी आजादी के बाद
प्रतिबंध था।
हाल में वह प्रतिबंध हटा है।
जबकि, वह 24 घंटे आॅक्सीजन देता है।
टोप की जगह टांेपी पहन कर आए हमारे नए शासकों
को संभवतः यह डर था
कि हर पीपल की पूजा होने लगेगी !
फिर ‘वैज्ञाानिक सोच’ का क्या होगा ?
विशेष गुणों वाली देसी गाय
की जगह हाइब्रिड गायों का प्रचलन बढ़ा।
जैविक खेती की जगह रासायनिक खाद और कीटनाशकों
के भारी इस्तेमाल से
इस देश के बड़े इलाकों में मिट्टी -खेती नष्ट हो रही है।
कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैं।
और भी बहुत सारी बातें हैं।
थोड़ा कहना, अधिक समझना !!
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---सुरंेद्र किशोर --14 मार्च 2020
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हाल के वर्षों में पहले ‘योग’ दुनिया में और अधिक फैला,
फिर नमस्ते का प्रचलन बढ़ा !
अब ताजा खबर यह है कि दाल-भात दुनिया
का सबसे अच्छा भोजन है।
यह मैं नहीं कह रहा हूं।
मशहूर पत्रिका ‘नेचर’ में दाल-भात के बारे में यह बात
कही गई है।
इस पर रिसर्च हुआ था।
यह खबर आज के ‘राष्ट्रीय सहारा’ में है।
असली ‘‘आइडिया आॅफ इंडिया’’ तो यही सब है न !!
गाय, गंगा और पीपल-नीम असली आइडिया आॅफ इंडिया ही है।
मुगलों और अंग्रेजों ने भी गंगा की निर्मलता-अविरलता
पर चोट नहीं पहुंचाई थी।
अकबर तो रोज ही गंगा जल पीता था।
पर, आजादी के बाद हमारे हुक्मरानों ने धीरे -धीरे गंगा को नाला में
परिवत्र्तित कर दिया।
औषधीय गुणों वाली ऐसी नदी दुनिया में कहीं
और होती तो वहां के शासक
सचमुच उसे मां की तरह रखते ।
पर, जिन भारतीय शासकांे ने भारत की सारी मूल चीजों-बातों को
हिकारत भरी नजरों से
देखा,उनके बारे में क्या कहा जाए !
यहां तक कि सरकारी खर्चे पर पीपल का पौधा
लगाने पर भी आजादी के बाद
प्रतिबंध था।
हाल में वह प्रतिबंध हटा है।
जबकि, वह 24 घंटे आॅक्सीजन देता है।
टोप की जगह टांेपी पहन कर आए हमारे नए शासकों
को संभवतः यह डर था
कि हर पीपल की पूजा होने लगेगी !
फिर ‘वैज्ञाानिक सोच’ का क्या होगा ?
विशेष गुणों वाली देसी गाय
की जगह हाइब्रिड गायों का प्रचलन बढ़ा।
जैविक खेती की जगह रासायनिक खाद और कीटनाशकों
के भारी इस्तेमाल से
इस देश के बड़े इलाकों में मिट्टी -खेती नष्ट हो रही है।
कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैं।
और भी बहुत सारी बातें हैं।
थोड़ा कहना, अधिक समझना !!
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---सुरंेद्र किशोर --14 मार्च 2020
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