मुम्बई के अनुभव जायसवाल को बना सकते हैं सफल सी.बी.आई.निदेशक-सुरेंद्र किशोर
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नए सी.बी.आई.निदेशक सुबोध कुमार जायसवाल मुम्बई के पुलिस कमिश्नर रह चुके हैं।
वह महाराष्ट्र के डी.जी.पी. भी थे।
जिसने मुम्बई के अपराध जगत से प्रभावशाली लोगों की साठगांठ की कहानी जान -समझ ली है,उसे देश
में फैली इस घातक बीमारी को समझने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
माना जा रहा है कि उस घातक बीमारी से लड़ने के लिए जायसवाल सर्वाधिक उपयुक्त अफसर साबित हो सकते हैं।
उनका सेवाकाल अभी दो साल बचा है।
उधर नरेंद्र मोदी सरकार भी सन 2024 तक है।
बड़े कानून तोड़कों के खिलाफ भी समुचित कानूनी कार्रवाई करने में मोदी सरकार बाधक बनेगी,इस बात की कल्पना नहीं की जा सकती।
समझा जाता है कि एन.एन.वोहरा समिति ने मुख्यतः मुम्बई को ध्यान में रखकर ही 1993 में अपनी चर्चित रपट तैयार की थी।
उस रपट में कहा गया है कि ‘‘ इस देश में अपराधी गिरोहों, हथियारबंद सेनाओं, नशीली दवाओं का व्यापार करने वाले माफिया गिरोहों, तस्कर गिरोहों,आर्थिक क्षेत्रों में सक्रिय लाॅबियों का तेजी से प्रसार हुआ है।
इन लोगों ने विगत कुछ वर्षों के दौरान स्थानीय स्तर पर नौकरशाहों, सरकारी पदों पर आसीन व्यक्तियों, राजनेताओं, मीडिया से जुड़े व्यक्तियों तथा गैर सरकारी क्षेत्रों के महत्वपूर्ण पदों पर आसीन व्यक्तियों के साथ व्यापक संपर्क विकसित किये हैं।’’
यह संयोग नहीं है कि श्री जायसवाल राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की भी पसंद हैं।
महाराष्ट्र में जब डी.जी.पी. के रूप में काम करते समय
जायसवाल उद्धव सरकार के साथ असहज महसूस करने लगे थे तो उन्हें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर लाया गया था।
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छायाकारों के लिए भी मास्क नहीं हटाया
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सुबोध कुमार जायसवाल ने बुधवार को निदेशक पद का कार्यभार संभाला।
उन्होंने अपने चेहरे पर डबल मास्क लगा रखा था।
छायाकारों के लिए भी उन्होंने अपने मास्क नहीं हटाए।
उम्मीद है कि वे अपने पूरे कार्यकाल में किसी के दबाव में नहीं आएंगे । नियम, कायदे -कानून के अनुसार ही काम करेंगे।
उम्मीद है कि जायसवाल जी बिहार के उन कुछ उलझे हुए मामलों को भी सुलझाने में मदद करेंगे जिनकी जांच सी.बी.आई.लंबे समय से कर रही है।
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अमीरों का पलायन
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अपार पैसे रहने के बावजूद जिन लोगों के बीमार परिजनों का
यहां इलाज नहीं हो सका,उनमें से कई लोग इस देश को छोड़कर अब विदेश में बस जाना चाहते हैं।
ताजा खबर के अनुसार ऐसे लोग इस बात का पता लगा रहे हैं कि किस देश का वीसा जल्द व आसानी से मिल सकता है।
यह तो अपने देश की समस्या से पलायन है। देश प्रेम की कमी है।
जहां जा रहे हो,वहां इस तरह की समस्या आएगी तो फिर कहां जाओगे ?
लोकतांत्रिक देश भारत में ही रहकर उन्हें सरकारों पर दबाव बनाना चाहिए था ताकि स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हों।
लेकिन लगता है कि उन्हें यहां की सरकार व सिस्टम पर उन्हें भरोसा नहीं है।
ऐसी स्थिति में यहां की सरकारों को भी चाहिए कि वे लोगों को अभी से भरोसा दिलाए कि कोविड संकट समाप्त हो जाने के बाद हम बेहतर स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
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कब लागू होगी रोहिणी
आयोग की सिफारिश
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संकेत हैं कि उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव से ठीक पहले
रोहिणी आयोग की सिफारिश सरकार लागू करेगी।
नरेंद्र मोदी सरकार ने अक्तूबर, 2017 में आयोग का गठन किया था।
आयोग ने सर्वेक्षण में यह पाया कि
कुल 2633 पिछड़ी जातियों में से करीब 1000 जातियों को तो आज तक मंडल आरक्षण का कोई लाभ मिला ही नहीं।
रोहिणी न्यायिक आयोग ने मंडल आरक्षण के तहत निर्धारित
27 प्रतिशत आरक्षण को चार भागों में बांट देने की
सिफारिश केंद्र सरकार से की है।
यदि सिफारिश मान ली गई तो केंद्र की सूची में शामिल 97 मजबूत पिछड़ी जातियों को 27 में 10 प्रतिशत हिस्सा मिलेगा।
1674 जातियों को दो प्रतिशत, 534 जातियों को 6 प्रतिशत और 328 जातियों को 9 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा।
राजनीतिक विश्लेषणकत्र्ताओं का यह मानना है कि इस सिफारिश को लागू कर दिए जाने के बाद राजग खासकर उत्तर प्रदेश में भाजपा का एक ठोस वोट बैंक तैयार हो जाएगा।
इसके जरिए वह अगले चुनाव में ‘‘सत्ता विरोधी हवा’’ का शिकार होने से बच जाएगी।
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सहमे-सहमे बाहुबली
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इन दिनों बिहार में बड़े- बड़े बाहुबलियों के भी बुरे दिन चल रहे हैं।
वे कभी अपने -अपने इलाकों में राज करते थे।
उनके बुरे दिनों को देखकर कुछ अन्य बाहुबली सहम गए हैं।
ऐसे ही एक बाहुबली ने हाल में अपने सहकर्मियों से कहा कि अब जोर -जबर्दस्ती का कोई
काम नहीं होगा।
शांति बनी रहनी चाहिए।
आसपास के इलाकों में भी लोगों के बीच जो आपसी झगड़े हैं,उसके बारे में हमें जानकारी दो।
सुलह कराने की कोशिश होगी।
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और अंत में
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पश्चिम बंगाल के भाजपा विधायकों को केंद्र सरकार ने
‘एक्स’ श्रेणी की सुरक्षा दी है।
क्या इसके बावजूद वे अपने प्रदेश या चुनाव क्षेत्र में
सुरक्षित हैं ?
इस संबंध में परस्पर विरोधी खबरें आ रही हैं।
एक वायरल वीडियो के
अनुसार एक भाजपा विधायक चुनाव जीतने के बाद पहली बार अपने गांव गए थे।
वीडियो में यह देखा जा रहा है कि वहां के कुछ लोग उन्हें लाठी लेकर खदेड़ रहे हैं।उनकी गाड़ी तोड़ रहे हैं।
सुरक्षाकर्मी उन्हें सुरक्षित स्थान की ओर ले जाने लिए विधायक महोदय को अपने साथ भगा रहे हैं।
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कानोंकान,प्रभात खबर
पटना
28 मई 21