पश्चिम बंगाल में आने वाले
दिन और भी डरावने
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भाजपा ने कहा है कि हमारे कार्यकत्र्ताओं को आतंकित करने के लिए पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस शासन की मदद से अभूतपूर्व हिंसा कर रही है।
कांग्रेस और माकपा ने भाजपा के इस आरोप को सही बताया है।
साथ ही, इन दोनों दलों ने कहा है कि हमारे कार्यकत्र्ताओं को भी टी.एम.सी.द्वारा निशाना बनाया जा रहा है।
(इस बीच दिल्ली के कुछ बुद्धिजीवी यह चाहते हैं कि कांग्रेस,वाम और अन्य दल मिलकर ममता के नेतृत्व में अगली बार लोस चुनाव लड़ें और नरेंद्र मोदी को सत्ताच्युत कर दें।)
दूसरी ओर, तृणमूल नेता कह रहे हैं कि जो भी हिंसा बंगाल में हो रही है,वह भाजपा के भीेतर के आपसी झगड़े के कारण हो रही है।
अब आप ही बताइए कि कौन गलत और कौन सही है ?
खबर है कि भाजपा के कार्यकत्र्ता पश्चिम बंगाल छोड़कर
असम में शरण ले रहे हैं।
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को यह भी आशंका है कि तृणमूल कांग्रेस की इस भारी हिंसा से तंग आकर उनके कुछ कार्यकत्र्ता तृणमूल ज्वाइन कर सकते है।
कहा जा रहा है कि मौजूदा हिंसा आजादी के समय की सांप्रदायिक हिंसा की याद दिला रही है।
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कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चैधरी ने कहा है कि ‘‘हमारे मुस्लिम वोट तृणमूल कांग्रेस में चले गए और वाम दलों ने अपने वोट तृणमूल को ट्रांसफर कर दिए।’’(दैनिक आज-5 मई 21)
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अब आप पश्चिम बंगाल की गंभीर स्थिति अनुमान लगा लीजिए।
एक समुदाय के लोग अभूतपूर्व एकजुटता आखिर क्यों दिखा रहे हैं ?जाहिर है कि उद्देश्य गैर राजनीतिक है।
दरअसल उन्हें आशंका है कि भाजपा सी.ए.ए.और एन.आर.सी.लागू कर सकती है।.
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जानकार लोग बताते हैं कि वह तो भाजपा की केंद्र सरकार को लागू करना ही पड़ेगा।
अन्यथा, देश नहीं बचेगा।
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केंद्र को कुछ और काम करने ही पड़ंेगे।
तृणमूल के जितने नेताओं पर तरह -तरह के भ्रष्टाचार के आरोप में मुकदमे चल रहे हैं,जांच चल रही है,उन्हें उनकी तार्किक परिणति तक पहुंचाना ही पड़ेगा।
साथ ही,सीमा पर बाड़ लगाना ही पड़ेगा।
बाड़ लगाने के लिए ममता सरकार पहले जमीन अधिग्रहण करने में आनकानी कर रही थी।
बाद में राजी हुई थी।
पता नहीं, नई ताकत के साथ एक बार फिर सत्ता में आने के बाद अब वह क्या करंेगी ?
यह सब करने के सिलसिले में केंद्र सरकार को कितना विरोध झेलना पड़ेगा,उसकी झलक केंद्र को अभी से मिलनी शुरू हो गई है।
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--सुरेंद्र किशोर
5 मई 21
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