सावधानी हटी, दुर्घटना घटी !!
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--सुरेंद्र किशोर--
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इस कोरोना महामारी के काले दिनों में भी कुछ लोग अपने मित्रों-परिचितों को निर्भीक, निडर, निधड़क और बेखटक बनने की सलाह देते रहते हैं।
कहते हैं कि घूमते-फिरते और मिलते -जुलते रहिए।
कुछ नहीं होगा,सिर्फ मास्क कसकर नाक पर चढ़ा लीजिए।
ऐसी किसी सलाह को आप अगले एक-डेढ़ महीने तक हंस कर टाल दिया कीजिए।
उसी में सबकी भलाई है।
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किसी ‘इमरजेंसी’ में ही घर से बाहर कदम रखिए।
कोरोना संभवतः अगले महीने के मध्य में अपने शीर्ष पर होगा।
उसके बाद उसकी ढलान शुरू होनी ही है।
इस बीच बेड-आॅक्सीजन वगैरह की मांग व आपूत्र्ति के बीच
फासले बहुत कम रह जाएंगे।
फिर आप मित्रों के साथ यदाकदा उठने-बैठने लगेंगे ही,
वैसे फिर भी कुछ सावधानियों के साथ ही।
ऐसे मर्जों के साथ हमको, आपको, जग को लंबे समय तक रहना सीख लेना ही पड़ेगा।
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प्रकृति साल भर की हमारी जरूरतों के लिए तरह -तरह की चीजें भरपूर मात्रा में पैदा करती है,प्रदान करती है।
लेकिन उन्हें यदि हम सात महीने में ही चट कर जाते हैं,तो वैसी स्थिति में यह सब झेलना ही तो पड़ेगा।
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--सुरेंद्र किशोर
25 अप्रैल 21
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