मैं नमूने के लिए फिलहाल सिर्फ दो हस्तियों नेहरू और मोदी को लेता हूं।
कुछ लोग इन दिनों सोशल मीडिया पर जवाहरलाल नेहरू व उनके प्रशंसकों की सिर्फ प्रशंसा करते हैं और नरेंद्र मोदी व उनके समर्थकों की सिर्फ आलोचना करते हैं।
कुछ अन्य लोग मोदी व अन्य की सिर्फ प्रशंसा करते हैं और नेहरू व अन्य की सिर्फ आलोचना करते हैं।
जबकि मेरा मानना है कि इन दोनों नेताओं के व्यक्तित्व में प्रशंसा व आलोचना के तत्व पाए जाते हैं।
प्रशंसा के तत्व व आलोचना के तत्व की मात्रा में अंतर हो सकता है।
हर व्यक्ति में कुछ गुण होते हैं तो कुछ अवगुण।
कुछ विफलताएं होती हैं तो कुछ सफलताएं।
यदि आप किसी नेता व उसकी जमात के प्रति संतुलित रुख-रवैया रखकर चर्चा करेंगे तो वैसे भी आपकी बातों व जानकारियों से कोई कुछ सीख सकता है।
पर, ऐसा न हो कि आप एक के पक्ष में तो मजबूती से खड़े रहें किंतु दूसरे पक्ष को सियासी भेड़ मानते रहें।
यदि ऐसा हुआ तो फिर तो लोग आप पर हंसेंगे ही।
चाहे आप खुद को कितना भी बड़ा आदमी मान
बैठे हों !
--सुरेंद्र किशोर
24 मई 21
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