भ्रष्टाचार के खिलाफ महायुद्ध के बिना हमारी खैर नहीं
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दुनिया का कोई भी देश आक्सीजन, बेड, वेंटिलेटर, आई.सी.यू. में कई गुना बढ़ोत्तरी करके भी कोरोना पर काबू नहीं कर सका।
यह असंभव,अस्थायी और महंगा हल है।
स्थायी हल है घर में रहना, शारीरिक दूरी का पालन और मास्क पहनना।
याद रखिए कि सड़क दुर्घटनाएं रोकने के लिए अस्पताल नहीं बनाए जाते,बल्कि गाड़ी ढंग से चलानी पड़ती है।
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---डा.प्रवीण झा,
दैनिक जागरण
6 मई 21
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यह बात सही है जो डा.झा ने कही।
किंतु अन्य कई देशों की तरह ही हमारे देश की सबसे गंभीर समस्या सरकारी-गैर सरकारी भ्रष्टाचार है।
भीषण भ्रष्टाचार है।
भ्रष्टाचार आजादी के साथ ही गंभीर से गंभीरत्तम होता चला गया।
वोट बैंक,जातिवाद व वंशवाद की राजनीति ने इसे बढ़ाया।
अधिकतर लोग ईमानदारों की तलाश अपनी जाति में और भ्रष्टों की तलाश दूसरी जाति में करते हैं।
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इस देश के जो सार्वजनिक धन भ्रष्टाचार में चले गए,जा भी रहे हैं, वे अन्य सुविधाओं के साथ -साथ शिक्षा व स्वास्थ्य क्षेत्रों में भी लगे होते तो कोरोना के कारण आई महा विपत्ति से हम आज अपेक्षाकृत कम पीड़ित होते।
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पर,सवाल है कि जो लोग व संस्थान यहां तक कि अदालत तक, कोरोना को लेकर आज विभिन्न सरकारों पर आग- बबूला हो रहे हैं,वे कब यह महसूस करेंगे कि सरकारी-गैर सरकारी भीषण भ्रष्टाचार के खिलाफ महा युद्ध किए बिना हमारा असित्त्व नहीं बचेगा ?
भ्रष्टाचार से अन्य अधिकतर समस्याएं भी पैदा होती हैं और बढ़ती रहती हैं-यहां तक आतंकवाद भी।
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--सुरेंद्र किशोर
6 मई 21
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