जरा ऐसे करके देखिए !
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अहंकारी, अशिष्ट और बदजुबान लोगों को बुढ़ापे में
उन्हें काफी अकेलापन झेलना पड़ता है।
तब अत्यंत थोड़े लोग ही उनका हालचाल पूछते हंै ।
या, फिर मदद को आगे आते हैं।
गांवों व शहरों में मैंने दशकों से यही अनुभव किया है।
इसलिए जब आज आप जवान हैं या फिर आपके पास धन या कोई और शक्ति है तो कुछ अधिक ही विनीत व शिष्ट बन जाइए।
मीठी जुबान के इस्तेमाल में कुछ खर्च तो होता नहीं !
साथ ही, किसी से मिलिए तो अपने बारे में कम बताइए,उसके बारे में अधिक पूछिए।
बल्कि अपने बारे में तभी बताइए जब वह पूछे।
ताकि, उसे यह लगे कि उसके गुण व उसकी तरक्की से कुछ लोग खुश भी होते हैं।
फिर देखिए संबंधों पर कितना व कैसा चमत्कारिक व स्थायी असर पड़ता है।
--सुरेंद्र किशोर
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