‘सेक्युलरिस्टों’ की फेल होती रणनीति
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टुकड़े -टुकड़े गिरोह और जेहादी तत्व इस देश में
मजबूती से सक्रिय हैं।
बाहरी-भीतरी मदद से वे अपनी ताकत बढ़ाते जा रहे हैं।
दूसरी ओर इस देश के अधिकतर लोग चाहते हैं कि इन तत्वों का सख्त विरोध हो।
किंतु इस देश के कितने ‘सेक्युलर’ दल,‘सेक्युलर’
बुद्धिजीवी तथा ‘सेक्युलर’ संगठन ऐसे तत्वों का विरोध कर रहे हैं ?
शायद कोई नहीं।
बल्कि वे ऐसे तत्वों का प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से समर्थन ही कर रहे हैं।
नतीजतन तथाकथित सेक्युलर शक्तियां कमजोर होती जा रही हैं।
दूसरी ओर, जो राजनीतिक व गैर राजनीतिक शक्तियां देश तोड़कों का विरोध कर रही हैं,उनका जन समर्थन बढ़ता जा रहा है।
पश्चिम बंगाल के चुनाव में भी यही हो रहा है।
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अरे तथाकथित सेक्युलरिस्टो,अब भी तो चेत जाओ !
क्यों अपनी ही गलतियों से उन शक्तियों को मजबूत कर रहे हो जिन्हें तुम सांप्रदायिक कहते हो ?
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अपने ही समकालीन इतिहास से सबक क्यों नहीं लेते ?
नब्बे के दशक में जब तथाकथित प्रगतिशील व सेक्युलर दल व बुद्धिजीवी देश की कुछ महा भ्रष्ट्र ,जातिवादी व अपराधी तत्वों की सरकारों का समर्थन कर रहे थे तो उस समर्थन का कारण उनसे पूछा जाता था।
वे जवाब देते थे कि ‘‘हम सांप्रदायिक ताकतों यानी भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए ऐसा कर रहे हैं।
पर, सवाल है कि क्या आप सत्ता में आने से रोक सके जिन्हें आप सांप्रदायिक कहते हैं ?
नहीं रोक सके।
यानी, आपकी रणनीति फेल कर गई।
आप आज तक नहीं सीख सके कि उन्हें सत्ता में आने व उनके ताकतवर बनते जाने से उन्हें कैसे रोका जा सकता है।
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आज जो रणनीति आपकी है,वह भी फेल ही होने वाली है।
फिर आप कहीं के नहीं रहेंगे।
फेल इसलिए होगी क्योंकि इस देश की अधिकतर जनता यह चाहती है कि जेहादी ताकतों का सख्त विरोध हो।
हां,सभी समुदायों के जरूरतमंद लोगों को उनकी जरूरत के अनुपात में सरकार की ओर से भरपूर मदद मिले।
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--सुरेंद्र किशोर
12 अप्रैल 21
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