बुधवार, 19 मई 2021

 क्या नारदा केस कोलकाता से

भुवनेश्वर स्थानांतरित होगा ?

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--सुरेंद्र किशोर--

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जांच एजेंसी सी.बी.आई.चाहती है कि नारदा घोटाला मुकदमे की सुनवाई कोलकाता की जगह अब भुवनेश्वर स्थित सी.बी.आई.कोर्ट में होनी चाहिए।

  जांच एजेंसी ने इस स्थानांतरण के लिए कोलकाता हाई कोर्ट से अपील भी की है।

संभव है कि  यह आदेश पाने में वह सफल हो जाए।

  अन्य तथ्यों के अलावा न्यायाधीशों को भी तो प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया से  

जानकारियां मिलती रहती हैं !!

   यदि कोलकाता हाईकोर्ट  इस मामले में सी.बी.आई.को अनुमति नहीं देगा तो वह सुप्रीम कोर्ट जा सकती है।

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  नब्बे के दशक में बिहार के चारा घोटाले की जांच हो रही थी तो सी.बी.आई.के संयुक्त निदेशक डा.यू.एन.विश्वास की जान पर भारी खतरा था।

उन्हें सुरक्षा मिली हुई थी।

एक बार पटना में डा.विश्वास ने हम संवाददाताओं को बताया था कि ‘‘जब भी मैं कोलकाता से पटना के लिए रवाना होता हूं तो अपनी पत्नी से कह आता हूं कि शायद तुमसे यह मेरी आखिरी मुलाकात हो।’’

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पर मुझे लगता है कि सी.बी.आई. को नब्बे के दशक के बिहार से भी अधिक खतरनाक स्थिति का आज पश्चिम बंगाल में सामना करना पड़ रहा है।

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डा.विश्वास ने वाम मोर्चा सरकार के भ्रष्टाचार से परेशान होकर तृणमूल ज्वाइन किया था।

वे ममता सरकार में मंत्री भी बने।

पर, जब उन्होंने तृणमूल सरकार का रंग-ढंग देखा तो वे निष्क्रिय हो गए हैं।

कोलकाता में ही रहते हैं।

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 तृणमूल के जेल यात्री नेता यह कह रहे हैं कि हैं कि ‘‘हम ही क्यों ? सुवेंदु और मुकुल क्यों नहीं ?’’

दरअसल भाजपा के मुकुल व सुवेंदु ही नहीं छूटे हैं,तुणमूल के भी दो नेताओं को सी.बी.आई.ने इस केस में फिलहाल बख्श दिया है।

सी.बी.आई.कहती है कि उनके खिलाफ सबूत नहीं हैं।

यदि सी.बी.आई.गलत कहती है तो तृणमूल को चाहिए कि वह सबूत एकत्र करके कोर्ट की शरण ले।

  जिस तरह डा.सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सोनिया परिवार पर  नेशनल हेराल्ड घोटाला केस कर रखा है।

स्वामी के कारण ही जयललिता भी जेल गई थीं।

स्वामी की इस तरह की कई अन्य उपलब्धियां भी हैं।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि कोई ‘‘प्रायवेट परसन’’ भी केस कर सकता है। 

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लेकिन कुछ दल या नेता यह चाहते रहे हैं कि ‘‘तुम हमें बचाओ,हम तुम्हें बचाएंगे,।’’

दशकों से इस देश में चल रहा वह फार्मला अब फेल कर रहा है।

   देश के कई राज्यों में आज गैर राजग दलों की सरकारें हैं।

यदि उन्हें लगता है कि उन राज्यों के कुछ भाजपा नेताओं के खिलाफ  भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप  हैं तो  उनकी सरकारें उन पर केस क्यों नहीं करतीं ? 

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19 मई 21. 



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