अब तक जो नहीं हुआ,
वह सब भी हो रहा है अब !
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1.-केरल के माकपाई मुख्य मंत्री ने अपने दामाद को इस बार अपने मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया है।
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2.-‘पार्टी विथ अ डिफरेंस’ यानी भाजपा कर्नाटका में क्या गुल खिलाएगी ?
या अपनी राज्य शाखा को खिलाने देगी ?
क्या वंशवाद विरोधी भाजपा का हाईकमान उसे ऐसा करने देगा ?
कर्नाटका के मुख्य मंत्री के पुत्र बी.वाई.विजयेंद्र गत साल राज्य भाजपा के उपाध्यक्ष बने।
ताजा खबर है कि अब उनकी नजर अपने पिता की
कुर्सी पर है।
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3.-आंध्र प्रदेश के मुख्य मंत्री के पिता भी मुख्य मंत्री ही थे।
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4.-तेलांगना के मुख्य मंत्री ने हाल में कहा था कि अपने पुत्र को मैं मुख्य मंत्री पद उसके जन्म दिन पर उपहार के रूप में दे दूंगा।
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5.-तमिलनाडु की कहानी तो पुरानी है।
उसे भला क्या दुहराना !
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इस तरह शेष भारत की भीषण व जानलेवा बीमारी यानी घोर वंशवाद-परिवारवाद ने अब पूरे दक्षिण भारत की राजनीति को
भी अपनी गिरफ्त में लेना शुरू कर दिया है।
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अपवादों को छोड़कर देश लोकतंत्र
से ‘‘लोकतांत्रिक राजतंत्र’’ की ओर बढ़ रहा है।
आजादी के 75 साल पूरा होने से पहले ही यह हाल है।
सौ साल होते-होते पता नहीं क्या -क्या होने लगेगा ?
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--सुरेंद्र किशोर
23 मई 21
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