मंगलवार, 4 मई 2021

    मोदी की बांग्ला देश यात्रा और चुनाव 

     --सुरेंद्र किशोर-- 

 कुछ लोग प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की बांग्ला देश यात्रा को 

पश्चिम बंगाल के चुनाव से जोड़कर आज देख रहे हैं।

  उन्हें 1972 में इस देश में हुए कुछ विधान सभाओं के चुनावों की यह कहानी पढ़ लेनी चाहिए।

   सर्जिकल स्ट्राइक के समय कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने कहा था कि 

‘‘कांग्रेस पार्टी किसी भी स्तर पर सेना की बहादुरी का राजनीतिक लाभ लेेेने का विरोध करती है।’’

पर, सुरजेवाला की बात इतिहास की कसौटी पर खरी नहीं उतरती।

   सवाल है कि क्या कांग्रेस ने सन 1971 के बांग्ला देश युद्ध में विजय का चुनावी लाभ लेने का प्रयास नहीं किया था ?

वैसे कुछ साल पहले मोदी सरकार को ‘सर्जिकल स्ट्राइक डे’ मनाने की कोई जरूरत नहीं थी।

भाजपा सर्जिकल स्ट्राइक डे नहीं भी मनाती तो भी उसे उसका राजनीतिक या चुनावी लाभ मिलता।

उसी तरह कांग्रेस पार्टी बांग्ला देश युद्ध का चुनावी लाभ उठाने के लिए अतिरिक्त प्रचार नहीं भी करती तो भी उसे उसका लाभ मिल ही जाता।अतिरिक्त प्रचार कांग्रेस ने 1972 के विधान सभाओं के चुनाव के दौरान किया था।

  इंदिरा गांधी को तो आंध्र प्रदेश के एक कांग्रेसी सांसद ने ‘दुर्गा’ का दर्जा दे ही दिया था।देश के अधिकतर लोग भी इंदिरा गांधी की प्रशंसा कर रहे थे।

 पर धैर्य किसे है !उन्हें भी नहीं था।

 इस देश की राजनीति में न तो एक दूसरे पर आरोप लगाने में कोई धैर्य रहता है और न ही राजनीतिक लाभ उठाने में।

अब देखिए बांग्ला देश युद्ध के बाद तत्कालीन इंदिरा सरकार और कांग्रेस ने क्या किया था ?

उत्तर प्रदेश के प्रमुख कांग्रेसी नेताओं के विरोध के बावजूद समय से दो साल पहले यानी 1972 में विधान सभा चुनाव इंदिरा गांधी ने करवा दिया।

  प्रधान मंत्री को लग गया था कि दो साल बाद युद्ध में विजय का चुनावी लाभ उनके दल को शायद नहीं मिल सकेगा।याद रहे कि उत्तर प्रदेश विधान सभा का 1969 में चुनाव हुआ था।कांग्रेस को सदन में पूर्ण बहुमत भी हासिल था। 

  1972 के विधान सभा चुनाव के समय प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने मतदाताओं के नाम जो चिट्ठी जारी की उसके अनुसार,

‘‘देशवासियों की एकता और उच्च आदर्शों के प्रति निष्ठा ने हमें युद्ध में जिताया।

अब उसी लगन से हमें गरीबी हटानी है।

इसके लिए हमें विभिन्न प्रदेशों में ऐसी स्थायी सरकारों की जरूरत है जिनकी साझेदारी केंद्रीय सरकार के साथ हो सके।’’

(आज तो डबल इंजन की सरकार पश्चिम बंगाल में और भी जरूरी है।विकास-कल्याण की कीमत पर भी ममता सरकार मोदी सरकार से लगातार असहयोग कर रही है।आंतरिक-बाह्य सुरक्षा लगातार खतरे में है सो अलग !)

  मार्च, 1972 के साप्ताहिक ‘दिनमान’ के अनुसार,

‘जहां तक कांग्रेस के चुनाव घोषणा पत्र का संबंध है,उसने यह बात छिपाने की कोशिश नहीं की है कि भारत पाक युद्ध में भारत की विजय इंदिरा गांधी के सफल नेतृत्व का प्रतीक है।  इंदिरा गांधी के हाथ मजबूत करने के लिए विभिन्न प्रदेशों में अब कांग्रेेस की ही सरकार होनी चाहिए।’ 

  कोई भी बयान देने से पहले नेताओं को यह याद कर लेना चाहिए कि उसी सवाल पर उसने पहले खुद क्या रुख अपनाया था।

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