विभिन्न जातियों की संख्या को लेकर 1931 के अधिकृत आंकड़े उपलब्ध हैं।
2011 में जातीय आधार पर जन गणना जरूर हुई,पर उसके आंकड़े जारी नहीं हुए हैं।
अब जबकि 2019 का चुनाव करीब है तो कुछ लोगों को जातियों की मोटा -मोटी संख्या जानने में रूचि हो सकती है।
कुछ लोग फोन पर मुझसे पूछते भी रहे हैं।उसे ध्यान में रखते हुए मैं 1931 का एक संक्षिप्त आंकड़ा यहां प्रस्तुत कर रहा हूं।
इन आंकड़ों से भी स्थिति बहुत साफ नहीं होगी।पर
इससे एक आधार मिलेगा।
यदि किन्हीं के पास बाद के वर्षों का अलग से बिहार का कोई सरकारी-गैर सरकारी आंकड़ा हो तो जरूर अवगत कराएं।
यह संयुक्त आंकड़ा तो बिहार-झारखंड -ओडि़शा का है। 1931 में ये राज्य बंटे नहीं थे।
कुछ ही मुख्य जातियों के आंकड़े देख लीजिए।
1-ग्वाला-अहीर,गोप,यादव-34 लाख 55 हजार।
2.-ब्राह्मण--- 21 लाख 1 हजार।
3.-कुर्मी -- 14 लाख 52 हजार।
4.-राजपूत-क्षत्री- 14 लाख 12 हजार।
5.-कोइरी - 13 लाख 1 हजार।
6.-चमार-- 12 लाख 96 हजार
7.-दुसाध--- 12 लाख 90 हजार।
8.-तेली- 12 लाख 10 हजार।
9.-मुस्लिम--- 9 लाख 83 हजार।
9.-भूमिहार-- 8 लाख 95 हजार।
10.-कायस्थ-- 3 लाख 83 हजार।
----------
यह आंकड़ा मुंगेरी लाल की अध्यक्षता में गठित पिछड़ा वर्ग आयोग की रपट@1976@ से लिया गया है।
---- मैंने सिर्फ दस जातियों का आंकड़ा दिया है।
यदि कोई मित्र कुछ अन्य जाति का आंकड़ा जानना चाहेंगे तो मैं बता दूंगा।
2011 में जातीय आधार पर जन गणना जरूर हुई,पर उसके आंकड़े जारी नहीं हुए हैं।
अब जबकि 2019 का चुनाव करीब है तो कुछ लोगों को जातियों की मोटा -मोटी संख्या जानने में रूचि हो सकती है।
कुछ लोग फोन पर मुझसे पूछते भी रहे हैं।उसे ध्यान में रखते हुए मैं 1931 का एक संक्षिप्त आंकड़ा यहां प्रस्तुत कर रहा हूं।
इन आंकड़ों से भी स्थिति बहुत साफ नहीं होगी।पर
इससे एक आधार मिलेगा।
यदि किन्हीं के पास बाद के वर्षों का अलग से बिहार का कोई सरकारी-गैर सरकारी आंकड़ा हो तो जरूर अवगत कराएं।
यह संयुक्त आंकड़ा तो बिहार-झारखंड -ओडि़शा का है। 1931 में ये राज्य बंटे नहीं थे।
कुछ ही मुख्य जातियों के आंकड़े देख लीजिए।
1-ग्वाला-अहीर,गोप,यादव-34 लाख 55 हजार।
2.-ब्राह्मण--- 21 लाख 1 हजार।
3.-कुर्मी -- 14 लाख 52 हजार।
4.-राजपूत-क्षत्री- 14 लाख 12 हजार।
5.-कोइरी - 13 लाख 1 हजार।
6.-चमार-- 12 लाख 96 हजार
7.-दुसाध--- 12 लाख 90 हजार।
8.-तेली- 12 लाख 10 हजार।
9.-मुस्लिम--- 9 लाख 83 हजार।
9.-भूमिहार-- 8 लाख 95 हजार।
10.-कायस्थ-- 3 लाख 83 हजार।
----------
यह आंकड़ा मुंगेरी लाल की अध्यक्षता में गठित पिछड़ा वर्ग आयोग की रपट@1976@ से लिया गया है।
---- मैंने सिर्फ दस जातियों का आंकड़ा दिया है।
यदि कोई मित्र कुछ अन्य जाति का आंकड़ा जानना चाहेंगे तो मैं बता दूंगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें