नीति आयोग ने कहा है कि जब पटना के पास के गांधी सेतु से कुछ ही दूरी पर बिहार सरकार द्वारा छह लेन का कच्ची दरगाह -बिदु पुर गंगा पुल का निर्माण कराया जा रहा है तो फिर नये छह लेन पुल का विशेष औचित्य नहीं है।
दरअसल गांधी सेतु के समानांतर छह लेन के पुल का प्रस्ताव है।
दरअसल नीति आयोग को सरजमीन की जानकारी नहीं है।
पटना गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है।नदी के उस पार
सारण व वैशाली जिले के बड़े इलाके में एक ‘नोयडा’ यानी यमुना पार की तरह गंगा पार विकसित हो रहा है ।
पटना से वहां पहुंचने और वहां से पटना आने के लिए
गंगा नदी पर अभी और पुलों की जरूरत है।
बिहार का यह प्रस्तावित ‘नोयडा’ प्रादेशिक राजधानी पटना पर से आबादी का बोझ कम करेगा।
सारण व वैशाली जिले से केई भी व्यक्ति आधे घंटे में पटना पहुंच जाए तो वह इलाका पटना का ही हिस्सा माना जाएगा।
पटना पर आबादी के बढ़ते दबाव के कारण प्रदूषण ,ट्राफिक जाम और भूजल स्तर गिरते जाने की समस्या बढ़ रही है।
इसलिए नीति आयोग को नयी दृष्टि से विचार करना चाहिए न कि अगले पचास साल के ट्राफिक फ्लो को ध्यान में रख कर किसी नये पुल के बारे में कोई निर्णय करना चाहिए।
दरअसल गांधी सेतु के समानांतर छह लेन के पुल का प्रस्ताव है।
दरअसल नीति आयोग को सरजमीन की जानकारी नहीं है।
पटना गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है।नदी के उस पार
सारण व वैशाली जिले के बड़े इलाके में एक ‘नोयडा’ यानी यमुना पार की तरह गंगा पार विकसित हो रहा है ।
पटना से वहां पहुंचने और वहां से पटना आने के लिए
गंगा नदी पर अभी और पुलों की जरूरत है।
बिहार का यह प्रस्तावित ‘नोयडा’ प्रादेशिक राजधानी पटना पर से आबादी का बोझ कम करेगा।
सारण व वैशाली जिले से केई भी व्यक्ति आधे घंटे में पटना पहुंच जाए तो वह इलाका पटना का ही हिस्सा माना जाएगा।
पटना पर आबादी के बढ़ते दबाव के कारण प्रदूषण ,ट्राफिक जाम और भूजल स्तर गिरते जाने की समस्या बढ़ रही है।
इसलिए नीति आयोग को नयी दृष्टि से विचार करना चाहिए न कि अगले पचास साल के ट्राफिक फ्लो को ध्यान में रख कर किसी नये पुल के बारे में कोई निर्णय करना चाहिए।
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