दो मित्र आपस में बातें कर रहे थे।
एक ने दूसरे से कहा-यार, तुम इन दिनों तरक्की खूब कर रहे हो।
दूसरे ने पहले से कहा - इसमें कोई राॅकेट साइंस नहीं है।
तुम भी तरक्की कर सकते हो।
पहला-कैसे ?
दूसरा- यदि तुम कभी -कभी दूसरों की भी तारीफ करना सीख जाओ।
अभी तो तुम चाहते हो कि लोगबाग सिर्फ तुम्हारी ही तारीफ करंे !
दरअसल दुनिया की सबसे मीठी चीज मुंह से नहीं बल्कि कान से ग्रहण की जाती है--वह है प्रशंसा।और तुम हो कि उसकी भी प्रशंसा नहीं करते जो उसके योग्य है।
एक ने दूसरे से कहा-यार, तुम इन दिनों तरक्की खूब कर रहे हो।
दूसरे ने पहले से कहा - इसमें कोई राॅकेट साइंस नहीं है।
तुम भी तरक्की कर सकते हो।
पहला-कैसे ?
दूसरा- यदि तुम कभी -कभी दूसरों की भी तारीफ करना सीख जाओ।
अभी तो तुम चाहते हो कि लोगबाग सिर्फ तुम्हारी ही तारीफ करंे !
दरअसल दुनिया की सबसे मीठी चीज मुंह से नहीं बल्कि कान से ग्रहण की जाती है--वह है प्रशंसा।और तुम हो कि उसकी भी प्रशंसा नहीं करते जो उसके योग्य है।
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