हमारे देश के अधिकतर प्रभावशाली लोग ‘योग्य व ईमानदारो’ं
’का चयन अपनी जाति और अपनी विचारधारा वाली जमात के बीच से ही करते हैं।
साथ ही ‘अयोग्य व भ्रष्ट लोगों’ की पहचान दूसरी जातियों व अन्य विचारधारा वाली जमात के बीच से करते हैं।
यह प्रवृत्ति आजादी से पहले भी थी।आजादी के बाद यह बढ़ गयी।कहिए कि व्यापक हो गयी।इस प्रवृत्ति ने देश का बड़ा नुकसान किया।
पर, इस नियम के जहां तहां कुछ अपवाद भी देखे जाते हैं।वे महा पुरूष होते हैं।उनकी सब इज्जत करते हैं।
पर, अपवादों से तो देश नहीं चलता।
’का चयन अपनी जाति और अपनी विचारधारा वाली जमात के बीच से ही करते हैं।
साथ ही ‘अयोग्य व भ्रष्ट लोगों’ की पहचान दूसरी जातियों व अन्य विचारधारा वाली जमात के बीच से करते हैं।
यह प्रवृत्ति आजादी से पहले भी थी।आजादी के बाद यह बढ़ गयी।कहिए कि व्यापक हो गयी।इस प्रवृत्ति ने देश का बड़ा नुकसान किया।
पर, इस नियम के जहां तहां कुछ अपवाद भी देखे जाते हैं।वे महा पुरूष होते हैं।उनकी सब इज्जत करते हैं।
पर, अपवादों से तो देश नहीं चलता।
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