शनिवार, 7 जुलाई 2018

2016 में पनामा पेपर्स के जरिए रहस्योद्घाटन हुआ और 
पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री नवाज शरीफ को कल दस साल की सजा हो गयी।
  इतनी जल्दी सजा भारत में होने लगे तो इस गरीब देश का कल्याण हो जाए।
 पर, यहां तो दशकों लग जाते हैं।
फिर भी अधिकतर भ्रष्ट नेता बच जाते हैं।
ध्यान रहे कि पनामा पेपर्स में कुछ भारतीयों के भी नाम आए हैं।
पर, एक समानता इन दो  देशों के नेताओं के बीच  जरूर देखी जा सकती है।
भारत में किसी नेता के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा शुरू होता है तो वह कहता है कि चूंकि उसने  जनता का कल्याण किया है,इसलिए हमारे राजनीतिक विरोधी हमारे  खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई कर रहे हैं। 
  नवाज ने भी यही कहा है।उन्होंने कहा कि चूंकि हमने जनता को जनरलों व जजों की गुलामी से आजाद कराया,इसलिए हमें  सजा मिली।
पर,उन्होंने इस आरोप पर कोई सफाई नहीं दी कि उन्होंने लंदन में चार आलीशान फ्लैट्स किस जायज कमाई से  खरीदे।कितनी समानता है दोनों देशों के भ्रष्ट नेताओं के बीच !
इन गरीब देशों की जनता से टैक्स के जरिए मिले पैसों से आलीशान जीवन बिताने वाले कुछ नेताआंे को यदि अदालत छोड़ देती है तो खुदा उसे सजा दे देता है।
 याद रहे कि नब्बे के दशक में बेनजीर भुट्टो ने इंगलैंड में 350 एकड़ का जो आलीशान राज महल नुमा फार्म हाउस ‘अर्जित’ किया था,उसके डायनिंग टेबुल
की कीमत एक लाख 20 हजार पौंड थी।उसे  इटली से मंगाया गया था।
  हालांकि विदेशों में अर्जित कुछ भारतीय नेताओं की संपत्ति की खबरें भी अब  आने लगी हैं।पर पता नहीं उन्हें कब सजा मिलेगी।यहां तो देर से मिला न्याय, न्याय नहीं होता।  

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