शुक्रवार, 13 जुलाई 2018

--मनिआर्डर इकाॅनोमी से स्वावलंबन की ओर सारण--



एक चर्चित कहावत है। अमेरिका ने सड़कें बनायीं और सड़कों ने अमेरिका को बना दिया।इस कहावत से सड़कों के महत्व का पता चलता है।
  इधर बिहार के सारण जिले में सड़कों के साथ- साथ पुल और फ्लाई ओवर  भी बन रहे हैं।वह भी ऐसा -वैसा फ्लाई ओवर नहीं।बल्कि डबल डेकर यानी दो मंजिला फ्लाई ओवर।वह छपरा शहर में बनेगा।इसी बुधवार को उसका शिलान्यास हो गया।
उस अवसर पर मुख्य मंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा की है कि गंगा नदी पर दाना पुर से दिघवारा तक एक नया पुल भी बनेगा।
किसी ठोस शुरूआत के बिना मुख्य मंत्री ऐसी घोषणा नहीं करते।इसलिए सारण के लोग यह समझ कर खुश हंै कि यह पुल बनेगा जरूर ।यानी  प्रस्तावित दाना पुर-दिघवारा गंगा पुल पर काम भी जल्द ही शुरू हो जाएगा।
  उम्मीद है कि सरकार लोगों की इस  उम्मीद को जल्द ही पूरा करेगी। 
वह प्रस्तावित पुल पटना महा नगर को सारण जिले से जोड़ने वाला दूसरा गंगा पुल होगा।
पहला  पुल जेपी सेतु हाल ही में बन कर तैयार हुआ है।
वह चालू है।उसका लाभ लोगों को मिलने लगा है। गांधी सेतु भी बहुत दूर नहीं है।
उधर बबुरा-डोरी गंज गंगा पुल ने भी भोज पुर और सारण के बीच की दूरी घटा दी है।
  सारण में मढ़ौरा और दरिया पुर के रेल कारखाने ने भी वहां के लोगों की उम्मीदें बढ़ाई हंै।
  पर सबसे अधिक लाभ प्रस्तावित दाना पुर-दिघवारा पुल से होने की उम्मीद है।
इससे गंगा के उत्तर में उप नगर विकसित होने की उम्मीद बढ़ी है।
 यमुना पार की तरह।
अविभाजित सारण जिले को कभी मनी आर्डर इकाॅनोमी वाला जिला कहा जाता था।
यानी देश के किसी भी जिले की अपेक्षा सारण के लोगों को  बाहर से  सबसे अधिक मनिआर्डर मिलते  थे।बाहर कमाने गए  उनके परिजन उन्हें भेजते थे।
 यानी कम जमीन और सघन आबादी वाले इस जिले से काम की तलाश में बहुत सारे लोग बाहर चले जाते रहे हैं।आज भी जाते हैं।
 यदि सारण जिले की ओर सरकार व जन प्रतिनिधियों का ध्यान गया है तो वह अकारण नहीं है।किन्हीं खास जिलों को अत्यंत पिछड़ा छोड़कर आप पूरे राज्य को विकसित नहीं बना सकते।
 सारण जिला लालू प्रसाद का भी राजनीतिक क्षेत्र रहा है। वे वहां से सासंद व विधायक हुआ करते थे।सन 1990 में जब वे मुख्य मंत्री बने तो उन्होंने इस जिले को पूर्ण रोजगार मुक्त जिला बनाने 
के अपने निर्णय की घोषणा की।आवेदन मांगे गये।लाखों आवेदन आए।उन आवेदनों पर कोई निर्णय हो, उस बीच मंडल आरक्षण आंदोलन शुरू हो गया।फिर तो उस सरकार की कार्य शैली ही बदल गयी।
हालांकि बाद में रेल मंत्री के रूप लालू प्रसाद ने मढ़ौड़ा और दरिया पुर में रेल कारखाने की स्थापना की शुरूआत की।वैसे  उन पर ठोस काम हाल में ही  हो सका ।कुल मिला कर अब यह उम्मीद की जा सकती है कि एक पिछड़े इलाके का  विकास अब तेज होगा।
     --सारण का रिकाॅर्ड--
सारण जिला स्थित  सोन पुर का रेलवे प्लेटफार्म कभी देश का सबसे लंबा प्लेटफार्म था।
पर अब गोरखपुर ने वह स्थान ले लिया है।
सोन पुर का पशु मेला अब भी देश का सबसे बड़ा मेला माना जाता है।
इधर छपरा में जब  डबर डेकर फ्लाईओवर बन कर तैयार होगा तो वह अपने ढंग का देश का सबसे बड़ा फ्लाई ओवर होगा।
साथ ही, अब यह भी उम्मीद की जानी चाहिए कि सारण देर सवेर देश के 
 गरीब जिलों में से एक नहीं रहेगा।    
   --चुनाव वर्ष के चरचे--
सन 2019 में लोक सभा का चुनाव होने वाला है।
यानी यह जो चल रहा है ,वह चुनाव वर्ष है।चुनाव पूर्व की राजनीतिक गतिविधियां शुरू भी हो चुकी  हैं।
चुनाव वर्ष में कुछ खास बातें व चर्चाएं होती हैं।उन खास बातों में
दो बातों की यहां चर्चा कर ली जाए।
एक तो ज्योतिषियों की बन आती है।
दूसरी बात यह भी होती है कि कुछ नेता लोग अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ कई बार बे सिर पैर की बातें फैलाने की कोशिश करने लगते हैं।
 सन 1989 के लोक सभा चुनाव से ठीक पहले एक पत्रिका ने देश के दस नामी ज्योतिषियों की चुनावी भविष्यवाणियां छापी थीं।उनमें से नौ की भविष्यवाणी गलत निकली।उनके मुकाबले चुनाव सर्वेक्षणों और  अखबारों की भविष्यवाणियां वास्तविकता के  अपेक्षाकृत अधिक करीब थीं।
  इसके साथ ही कुछ नेताओं की ऐसी संपत्तियों का भी ‘खुलासा’ होने लगता है जो उनके पास होती ही नहीं हैं।
अब तो खैर अनेक नेताओं के पास बहुत संपत्ति आ चुकी है,पर जब संपत्ति काफी कम हुआ करती थी,तब से ऐसी अफवाहें उड़ती रही है।
 1977 की बात है।जब मोरारजी देसाई प्रधान मंत्री बने तो कुछ लोगों ने यह उड़ा दिया कि मोरारजी क्लाथ मिल्स भी उन्हीं का है।
 सच्चाई का पता बाद में चला।
 मोरारजी देसाई  के पास न तो कोई मकान था और न कोई जमीन।
गुजरात के बुलसर में उनके पास पुश्तैनी मकान था।उसमें उनके भाई भी हिस्सेदार थे।मोरारजी के कहने पर उनके भाई इस बात पर राजी हो गए कि वह मकान गल्र्स स्कूल को दे दिया जाए।दे दिया गया।
     --कैसे रहे सदन में शांति--
 राज्य सभा की नियम पुनरीक्षण समिति ने अपनी अंतरिम सिफारिश में कहा है कि हंगामा करने वाले सदस्यों की सदस्यता अपने -आप समाप्त हो जाने का नियम होना चाहिए।
 इसके लिए सदन की  कार्य संचालन नियमावली में जरूरी बदलाव हो जाना चाहिए।
दूसरी सिफारिश यह है कि राज्य सभा का प्रश्न काल 11 बजे से शुरू हो।
पहले ऐसा ही होता था।पर कुछ साल पहले 12 बजे से शुरू होने लगा।
पीठासीन अधिकारियों के आदेश का लगातार उलंघन करने वाले सदस्यों के लिए यदि कोई ठोस व सबक सिखाने लायक  सजा की व्यवस्था 
हो जाए तो वह लोकतंत्र के लिए सही रहेगा।
      --एक भूली-बिसरी याद---
स्वतंत्रता सेनानी व पूर्व केंद्रीय मंत्री महावीर त्यागी ने लिखा है कि 
‘ 14 मई 1947 को बापू बहुत थके हुए थे कि उनसे मिलने डा.विधान चंद्र राय आए।उनके स्वास्थ्य को देखकर उनसे कहा कि ‘यदि आपको अपने लिए नहीं तो जनता की अधिक सेवा कर सकने के लिए आराम लेना  आपका धर्म नहीं हो जाता ?’
बापू बोले,‘हां,यदि लोग मेरी कुछ भी सुनें और मैं लोगों के और सत्ताधीश मित्रों के लिए किसी उपयोग का हो सकूं तो जरूर ऐसा करूं।’
परंतु अब मुझे नहीं ंलगता कि मेरा कहीं भी कोई उपयोग है।भले ही मेरी बुद्धि मंद हो गयी हो फिर भी इस संकट के काल में आराम करने की बजाय ‘करना या मरना’ ही पसंद करूंगा।मेरी इच्छा काम करते- करते
और राम रटन करते -करते मरने की है।मैं अपने अनेक विचारों में अकेला पड़ गया हूं।फिर भी अपने अनेक मित्रों के साथ दृढ़ता से भिड़ने का साहस ईश्वर मुझे दे रहा है।’
त्यागी लिखते हैं,‘उन दिनों केंद्र और सभी प्रदेशों में राष्ट्रीय सरकारों की स्थापना हो चुकी थी,पर हमारे मंत्रिमंडलों का जो रहन -सहन और कार्य प्रणाली थी,उससे बापू खुश नहीं थे।
लोगों की शिकायत थी कि अनेक त्याग व बलिदान के सहारे कांग्रेस एक महान संस्था बनी है और इसका इतिहास बहुत उज्ज्वल है फिर भी शासन की सत्ता हाथ में आने से कांग्रेसी उन गुणों को खोते जा रहे हैं और पद प्राप्ति के लिए अनुचित रूप से स्पद्र्धा कर रहे हैं।
        ---और अंत में---ं
महात्मा गांधी ने कहा था कि ‘एक बार हमारे देश में पंचायती राज स्थापित हो जाए तो जनमत वह कर पाएगा जो हिंसा कभी नहीं कर सकती।’
आज की पंचायती व्यवस्था को देखकर क्या यह लगता है कि बापू  का सपना पूरा हुआ ?  
@ 13 जुलाई 2018 के प्रभात खबर-बिहार-में प्रकाशित मेरे काॅलम कानोंकान से@





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