कई दशक पहले इस देश में एक कहावत प्रचलित थी।वह यह कि ‘गंुडे और गली के कुत्ते की जिंदगी दस से पंद्रह साल की ही होती है।’
पर जब से गुंडों को जातीय और राजनीतिक संरक्षण मिलने लगा,तब से उनकी आयु बढ़ गयी है।हां,बेचारे गली के कुत्ते
की जिंदगी उतनी ही पर अभी ठिठकी हुई है।
पर जब से गुंडों को जातीय और राजनीतिक संरक्षण मिलने लगा,तब से उनकी आयु बढ़ गयी है।हां,बेचारे गली के कुत्ते
की जिंदगी उतनी ही पर अभी ठिठकी हुई है।
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