देश की जीवन रेखा कृषि को इस कठिन दौर में बड़े राहत पैकेज की दरकार है। कर्ज पे कर्जा देने से समाधान नहीं निकलने वाला। किसानों को प्रत्यक्ष आय समर्थन देना होगा।
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---कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा,
दैनिक जागरण,17 मई 2020
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मैं बिहार के सारण जिले के एक परिवार को जानता हूं जिसे 1976 से पहले सामान्य खर्चे चलाने के लिए भी अक्सर जमीन बेचनी पड़ती थी। सन 1976 में उस परिवार में एक व्यक्ति को मासिक 125 रुपए पर सरकारी नौकरी मिल गयी। उसके बाद जमीन बिकनी बंद हो गई। याद रहे कि 1976 के एक सौ रुपए आज के 2463 रुपए के बराबर है।
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यदि सरकार किसान परिवार को इतनी नकदी देने में असमर्थ है तो वह फिलहाल एक बीच का रास्ता निकाल सकती है। केंद्र व राज्य सरकारें ऐसे किसान परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में कुछ सीटें आरक्षित कर दे जिस परिवार से कोई भी व्यक्ति सरकारी या निजी नौकरी में नहीं है।
यदि ऐसा हुआ तो उस परिवार की क्रय शक्ति बढ़ जाएगी। फिर वह कुछ करखनिया उत्पाद भी खरीदने की स्थिति में हो जाएगा। उससे अतिरिक्त कारखाने भी खुलेंगे। उनमें भी नौकरियां मिलेंगी।
----सुरेंद्र किशोर--17 मई 2020
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