जो नेता यह समझते हैं कि उनके लिए आगे भी बिहार विधान मंडल के किसी न किसी सदन का
सदस्य बने रहना जरूरी है, वे अगले द्विवार्षिक चुनाव में विधान परिषद के सदस्य बन जाएं।
क्योंकि कुछ लोगों के लिए बाहर की राजनीतिक हवा अभी अनिश्चित दिखाई पड़ रही है।
किसके लिए अनिश्चित है, इस पर कुछ कहना अभी ठीक नहीं है। याद रहे कि मैं न तो किसी दल का नाम ले रहा हूं और न ही किसी नेता का। इसलिए इस पोस्ट पर किसी को नाराज हो जाने का कोई आधार नहीं बनता है।
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सुरेंद्र किशोर--10 मई 2020
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