शनिवार, 2 मई 2020



 कृषि आधारित उद्योग के विकास से बदल सकती है गांवों की तस्वीर-सुरेंद्र किशोर
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जो काम आजादी के तत्काल बाद से ही शुरू हो जाना चाहिए था,वह अब होने जा रहा है।
 बिहार के कृषि मंत्री डा.प्रेम कुमार के अनुसार राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि आधारित लघु उद्योग लगाने के लिए राज्य सरकार 90 प्रतिशत अनुदान देगी।
 वैसे कृषि आधारित मध्यम और बड़े उद्योग भी लगने चाहिए।
पर, खैर जितना हो रहा है,पहले उसका स्वागत हो।उसे सफल बनाने की कोशिश हो।
यदि  सफलता मिली तो किसानों की भी आय बढ़ेगी।
साथ ही, बेरोजगारों को काम मिलेगा।पलायन घटेगा।
किसानों की क्रय शक्ति बढ़ने से करखनिया माल भी अधिक बिकेंगे।इस तरह अन्य उद्योगों का भी विकास होगा।
  इस देश का दुर्भाग्य रहा कि आजादी के तत्काल बाद के हमारे हुक्मरानों ने खेती के बदले उद्योग को प्राथमिकता दी।
इस संबंध में चैधरी चरण सिंह जैसे जमीन से जुड़े नेताओं की राय अलग थी जिसे नजरअंदाज किया गया।
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उद्योग की राह की बाधाओं 
   को भी दूर करे सरकार
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  यदि बिहार सरकार उद्योग के विकास में बाधक तत्वों को
दूर करे तो उसकी यह महत्वाकांक्षी योजना बहुत हद तक सफल होगी।
जानकार लोग बताते हैं कि छोटी सी औद्योगिक इकाई  को लेकर भी कम से कम 15 नियम-कानूनों का पालन करना पड़ता है।
  उन नियम-कानूनों को लागू करने वाले अधिकतर सरकारी सेवकों का उद्योगपतियों के प्रति वैसा रवैया नहीं रहता जैसा गुजरात जैसे राज्यों के सरकारी कर्मियों का रहता है।
  इस स्थिति में परिवत्र्तन कैसे लाया जाए,इस पर भी राज्य सरकार को विचार करना होगा।
  जिस राज्य के अधिकतर सरकारी सेवक अपने ‘कत्र्तव्य’ को   को अपना ‘अधिकार’ समझ लेते हैं,वहां उत्साही व्यक्ति भी निराश हो जाता है।
इस स्थिति से नए उद्यमी कैसे बच पाएंगे ?
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   असामान्य दिनों में घूसखोरों के 
  खिलाफ असामान्य कार्रवाई जरुरी
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बिहार सरकार ने गत फरवरी में यह घोषणा की कि
‘‘घूसखोरों को पकड़वाने पर 50 हजार रुपए का इनाम मिलेगा।
 भ्र्रष्टाचार मिटाने की मुहिम में आम लोगों को भी जोड़ने के उद्देश्य से यह सब किया जा रहा है।’’
 पर, किसी ने किसी घूसखोर को पकड़वा कर 50 हजार रुपए हासिल किए,ऐसी कोई खबर अभी सार्वजनिक नहीं हुई है।
उम्मीद की जानी चाहिए कि वह खबर भी देर-सवेर मिलेगी ही।
  पर, लगता है कि इनाम की यह राशि कम है।
 राशि बढ़ने से सूचकों में उत्साह बढ़ सकता है।
 दरअसल अभी कोरोना वायरस को लेकर असामान्य स्थिति पैदा हो गई है।इसके बावजूद भ्रष्ट लोग जहां -तहां सक्रिय हैं।
इस विपत्ति से निकलने के बाद तेज विकास व पुनर्निर्माण की जरुरत पड़ेगी।
उनमें असामान्य धनराशि लगेगी।
उस धनराशि को गिद्धों से बचाना एक बड़ी समस्या होगी।
उसका उपाय पहले से सोच लेना होगा।
इनाम की राशि को एक खास दूसरी राशि से जोड़ देना चाहिए।
जब कोई रिश्वतखोर पकड़ा जाता है तो कई दफा यह भी पता चलता है कि उसने अपनी जायज आय से काफी अधिक संपत्ति भी बना ली है।
यदि सूचकों को मिलने वाली इनाम राशि को उस अवैध संपत्ति की कुल राशि से जोड़ दिया जाए तो सूचकों का उत्साह बढ़ेगा।
  यानी, जब्त अवैध धन राशि का कम से कम दस प्रतिशत सूचक को मिले।
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पुण्य तिथि पर दिनकर की याद 
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24 अप्रैल, 1974 को रामधारी सिंह दिनकर के निधन के
बाद भवानी प्रसाद मिश्र ने लिखा था,
‘‘दिनकर कम से कम 50 वर्षों से देश के हृदय की वाणी गुंजाते रहे हैं।
ऐसे दर्द और रोष के साथ कि ब्रितानी सरकार भी उन पर तमकी।
जवाहरलाल ने भी ‘परशुराम की प्रतीक्षा’ काव्य लिखने के लिए दिनकर को माफ नहीं किया।
चीन के हमले के बाद उन्होंने यह काव्य लिखा था।
दिनकर उन दिनों भारत सरकार के हिन्दी सलाहकार थे।
गांठ बंाध ली गयी कि ऐसे कवि को आस्तीन में पालना तो गलत ही होगा।
इस तरह दिनकर हिन्दी सलाहकार नहीं रहे।
परशुराम की प्रतीक्षा के बाद सरकार ने उन्हें किसी प्रकार का सम्मान नहीं दिया।’’
   भवानी बाबू लिखते हैं
‘‘यों तब तक सरकारी और अर्द्ध सरकारी तमाम सम्मान उन्हें प्राप्त हो चुके थे,किंतु दिनकर ऐसे सहज सम्मानित व्यक्तित्व
का नाम था सम्मान जिसके चरणों की ओर उमड़ कर आता था।दिनकर एक जादू था जो सिर पर चढ़कर बोलता था।’’
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  धारावाहिक महाभारत और 
  राही मासूम रजा
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डा.राही मासूम रजा के 1992 में निधन के तत्काल बाद 
किसी ने ठीक ही कहा था कि 
‘‘अपनी जिंदगी के 
महाभारत को राही ने छोटे परदे के ‘महाभारत’ में बदल दिया और आज उसी की बदौलत राही पूरे हिंदुस्तान के लिए एक घरेलू नाम हो गया है।
‘महाभारत’ धारावाहिक जितना व्यास है,उतना ही राही का।
अपने इस ‘समय’ को राही ने बड़े जतन से आत्मा के कोने में अंत तक बचाए रखा,संजोए रखा--इस तरह कि उसे बंबई का फिल्मी बाजार भी न खरीद  सका।’’
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   और अंत में
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सुप्रीम कोर्ट ने गत साल  चुनाव आयोग को एक
खास निदेश दिया था।
वह निदेश आपराधिक रिकाॅर्ड वाले उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगाने को लेकर था।
इस संबंध में याचिका अदालत में है।
अदालत ने कहा कि आयोग इस संबंध में सुविचारित आदेश पारित करे कि ऐसे लोगों को चुनाव लड़ने की अनुमति देना सही है या गलत। पर आयोग ने इस पर अब तक क्या किया, यह पता नहीं चल सका है।
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कानोंकान, 24 अप्रैल 20 प्रभात खबर,पटना 





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