सर्वोदय नेता आचार्य राममूर्ति की पुण्यतिथि पर
बात पुरानी है। पर मुझे पूरी तरह याद है। पटना के श्रीकृष्ण स्मारक भवन में सभा हो रही थी।
मंच पर वी.पी.सिंह, मुख्यमंत्री लालू प्रसाद और सर्वोदय नेता आचार्य राममूर्ति मौजूद थे। अपने भाषण में लालू प्रसाद ने कहा कि हमने और राजा जी यानी वी.पी. सिंह ने आचार्य जी से कहा था कि आप राज्यसभा की सदस्यता स्वीकार कर लीजिए। पर आचार्य जी ने साफ मना कर दिया।
ऐसे निष्पृह समाजसेवी व्यक्ति थे आचार्य जी।
स्वतंत्रता सेनानी, गांधीवादी व सर्वोदय नेता आचार्य राममूर्ति का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर के एक संपन्न परिवार में 1913 में हुआ था। 20 मई 2010 को पटना में उनका निधन हुआ। वे वाराणसी के क्वीन्स कालेज में पढ़ाते थे। पर उन्होंने नौकरी छोड़कर समाज सेवा की राह पकड़ ली। बिहार को उन्होंने अपना कार्यक्षेत्र बनाया।
जेपी के नेतृत्व में 1974 में जब बिहार आंदोलन शुरू हुआ तो आचार्य जी का जेपी के बाद आंदोलन के नेतृ वर्ग में दूसरा स्थान था। आंदोलन के दौरान जब जेपी इलाज के वेलौर गए थे तो उन्होंने कुछ समय के लिए आंदोलन की बागडोर आचार्य जी को ही सौंपी थी। स्वतंत्रता सेनानी और गांधीवादी आचार्य जी का पूरा जीवन लोगों के कल्याण के लिए समर्पित रहा। ऐसे नेता अब कम ही देखे जाते हैं।
बात पुरानी है। पर मुझे पूरी तरह याद है। पटना के श्रीकृष्ण स्मारक भवन में सभा हो रही थी।
मंच पर वी.पी.सिंह, मुख्यमंत्री लालू प्रसाद और सर्वोदय नेता आचार्य राममूर्ति मौजूद थे। अपने भाषण में लालू प्रसाद ने कहा कि हमने और राजा जी यानी वी.पी. सिंह ने आचार्य जी से कहा था कि आप राज्यसभा की सदस्यता स्वीकार कर लीजिए। पर आचार्य जी ने साफ मना कर दिया।
ऐसे निष्पृह समाजसेवी व्यक्ति थे आचार्य जी।
स्वतंत्रता सेनानी, गांधीवादी व सर्वोदय नेता आचार्य राममूर्ति का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर के एक संपन्न परिवार में 1913 में हुआ था। 20 मई 2010 को पटना में उनका निधन हुआ। वे वाराणसी के क्वीन्स कालेज में पढ़ाते थे। पर उन्होंने नौकरी छोड़कर समाज सेवा की राह पकड़ ली। बिहार को उन्होंने अपना कार्यक्षेत्र बनाया।
जेपी के नेतृत्व में 1974 में जब बिहार आंदोलन शुरू हुआ तो आचार्य जी का जेपी के बाद आंदोलन के नेतृ वर्ग में दूसरा स्थान था। आंदोलन के दौरान जब जेपी इलाज के वेलौर गए थे तो उन्होंने कुछ समय के लिए आंदोलन की बागडोर आचार्य जी को ही सौंपी थी। स्वतंत्रता सेनानी और गांधीवादी आचार्य जी का पूरा जीवन लोगों के कल्याण के लिए समर्पित रहा। ऐसे नेता अब कम ही देखे जाते हैं।
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