रविवार, 12 जुलाई 2020

मौजूदा कोरोना काल में गंभीरता से याद रखें,‘सावधानी हटी ,दुर्घटना घटी।’-सुरेंद्र किशोर



 प्रशासन को एक बार फिर पटना के लाॅकडाउन का निर्णय
करना पड़ा।
राज्य के कुछ अन्य नगरों के भी लाॅकडाउन का आदेश हुआ है।
   इससे पहले के लंबे लाॅक डाउन के बाद लगा था कि अब शायद इसकी नौबत दुबारा नहीं आएगी।
किंतु कई कारणों से उसकी नौबत आ ही गई।
कोरोना मरीजों की संख्या में असामान्य वृद्धि के  कारण फिर लाॅकडाउन का निर्णय हुआ।
  सावधान हटी और दुर्घटना घटी !
क्योंकि लाॅकडाउन के नियमों का पालन आधे मन से हुआ।
शारीरिक दूरी एक प्रमुख नियम है।
मास्क पहनना दूसरा प्रमुख नियम है।
जान है तो जहान है।
नियमों को तोड़कर अपनी और परिजन की  जान को खतरे में डालने में भला कौन सी समझदारी है ! 
पिछले लाॅकडाउन के खुलने के बाद यदि लोगबाग सावधानी बरतते,इस संबंध में जारी शासकीय निदेशों का पालन करते तो शायद दुबारा लाॅक डाउन की नौबत नहीं आती।
इस बीच समय -समय पर टी.वी.चैनलों पर भीड़ द्वारा नियमों के उलंघन के नमूने दिखाई पड़ते रहे हैं।
  उम्मीद है कि कल से शुरू हो रहे लाॅकडाउन में लोग अतिरिक्त सावधानी बरतेंगे।
नियमों का पालन करके ऐसी स्थिति बना देंगे ताकि एक बार फिर लाॅकडाउन की नौबत न आए। 
 ...................................................
  बुजुर्ग मतदाताओं की सुविधा के लिए
    ....................................... 
अब 65 साल से अधिक उम्र  के 
 सारे मतदातागण वोट मतदान कर पाएंगे।
चुनाव आयोग के ताजा आदेश से यह स्थिति बनी है।
चुनाव आयोग उन्हें पोस्टल बैलेट उपलब्ध कराएगा।
यानी बुजुर्गों के लिए मतदान आसान हो जाएगा।
वे बड़ी संख्या में मतदान कर पाएंगे।
   इससे पहले कई कारणों से सभी बजुर्ग मतदान नहीं कर पाते थे।
हां, उनमें से अनेक लोग मतदान केंद्रांे पर जाकर भी मतदान करते रहे हैं।
जो नहीं जा पाते, उनमें कुछ शारीरिक रूप से असमर्थ होते हैं।
कुछ अन्य मतदातागण बूथ पर जाने को लेकर अनिच्छुक होते हैं।
सर्वाधिक कठिनाई उन बुजुर्गों के समक्ष आती रही है जिनके मतदान केंद्रों में अक्सर शांति-व्यवस्था की समस्या रहा करती है।
यानी मतदान केंद्रों पर अक्सर हिंसा होती है।
 इस देश के कुछ राज्यों के खास -खास हिस्सों में  अनेक मतदान केंद्रों से असली  मतदाताओं को भगा दिया जाता है।
ताकि, नकली मतदाताओं से अपने पक्ष में वोट डलवाए जा सकंे।
या फिर जानबूझकर हिंसा कर दी जाती है। 
 वैसे मतदान केंद्रों से जुड़े मतदाताओं के लिए पोस्टल बैलेट वरदान साबित होंगे।
बोगस मतदाताओं को निराशा होगी।
बोगस मतदान से लाभान्वित दलों को तो और भी निराशा होगी। 
...............................................
 दो विभागों के बीच तालमेल की कमी
   ............................................
   ग्रामीण कार्य विभाग ने चकमुसा-जमालुद्दीन चक सड़क 
के रख -रखाव के लिए एक बार फिर निविदा आमंत्रित की है।
पटना जिले के फुलवारी शरीफ अंचल स्थित इस सड़क की निविदा 7 जुलाई, 2020 के अखबार में छपी है।
कुछ महीने पहले भी अन्य सड़कों के साथ इस सड़क के निर्माण के लिए टेंडर आमंत्रित किया गया था।
  दूसरी ओर,
उसी सड़क के बारे में ताजा  खबर यह  है कि 
उद्योग मंत्री श्याम रजक-सासंद राम कृपाल यादव ने  इस सड़क के निर्माण कार्य का इसी 8 जुलाई को शिलान्यास कर दिया। 
 सूचना अधिकार कार्यकत्र्ता आर.एन.सिंह को सोन नहर प्रमंडल, खगौल ने 3 जून, 20 को एक पत्र लिखा था।
उस पत्र के अनुसार ,करीब 5 करोड़ रुपए की लागत पर चकमुसा-जमालुद्दीन चक सड़क का चैड़ीकरण और पक्कीकरण होने जा रहा है।
उसकी निविदा भी मंजूर की जा चुकी है।
   पिछले कई वर्षों से नहर के किनारे की इस  सड़क का काम ग्रामीण कार्य विभाग किया करता था।
पर  सिंचाई विभाग ने हाल में इसे वापस लेकर खुद काम कराने का निर्णय किया।
उसके बाद सिंचाई विभाग को चाहिए था कि इसकी खबर वह ग्रामीण कार्य विभाग को दे देता।
पर कई बार ऐसा होता है कि एक ही सरकार का एक ‘हाथ’ नहीं जानता कि उसी का दूसरा हाथ क्या कर रहा है।  
...............................
चीन का वही पुराना राग ं
.............................
चीन ने सीमा पर ताजा भिड़ंत के लिए उल्टे  भारत को 
ही जिम्मेदार ठहरा दिया है।
चीन की यह पुरानी आदत है।
1962 में भी उसने यही काम का किया था।
तब हमारी हजारों वर्ग मील जमीन पर कब्जा भी किया और हमें ही जिम्मेदार ठहरा दिया।
तब के चीनी प्रधान मंत्री चाउ एन लाई ने उस संबंध में 15 नवंबर, 1962 को
एशिया और अफ्रीका के देशों के प्रधान शासकों को चिट्ठी लिखी थी।
 उस चिट्ठी के साथ 13 रंगीन नक्शे भी संलग्न किए थे।
वे नक्शे सीमा क्षेत्र के थे।चीन ने उस चिट्ठी को किताब का रूप दिया।उसे अपने भारतीय समर्थकों के जरिए इस देश में भी बंटवाया। 
उस चिट्ठी में चीन ने खुद को निर्दोष बताया था।
जबकि पूरी दुनिया जानती है कि 1962 में चीन ने भारत के साथ कैसा सलूक किया।
   चीन का करीब दो दर्जन देशों से लंबा विवाद रहा है।
क्या उन विवादों के लिए भी दूसरे ही देश जिम्मेदार हैं ?
चीन नहीं ?
...........................
  और अंत में
 ............................
व्यक्ति हो या देश !
जब उस पर कोई संकट आता है तो 
अपनों  और परायों  की पहचान हो जाती है।
चीन ने हमारे सामने संकट खड़ा कर दिया था ।
हालांकि मोदी सरकार ने उसका दृढ़ता और सफलतापूर्वक
उसका मुकाबला किया।और कर भी रही है।
उसको लेकर दुनिया में नरेंद्र मोदी की तारीफ भी हुई।
पर इस दौरान हमने  बाहर -भीतर के दुश्मनों की भी अच्छी तरह पहचान कर ली।
भीतर के दुश्मनों की तो कुछ वर्षों के भीतर दूसरी बार पहचान हुई है।
............................
कानोंकान,प्रभात खबर,
पटना, 10 जुलाई 20

कोई टिप्पणी नहीं: