शनिवार, 4 जुलाई 2020

इसलिए  दिलानी पड़ती है पुरानी बातों को यादें
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मशहूर अर्थशास्त्री अरविंद पानगड़ि़या ने कहा है कि  
‘‘अगर भारत 10 खरब डाॅलर की अर्थ व्यवस्था होता तो क्या चीन हमसे उलझने की हिमाकत करता ?
मुझे तो इसके कम ही आसार लगते हैं।
ऐसे में अमेरिका,जापान और आस्टे्रलिया के साथ सामरिक गठजोड़ बनाया जाए।
  वहीं आर्थिक मोर्चे पर यू.के., ईयू, कनाडा और संभव हो तो अमेरिका के साथ मुक्त व्यापार समझौते किए जाएं।
  इससे 10 खरब डाॅलर का लक्ष्य जल्द प्राप्त होगा।’’
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इस देश के कुछ बुद्धिजीवी आज कहते हैं कि अभी चीन की सीमा वाली बात करो।
पुरानी बातें क्यों करते हो ?
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अरविंद की बातों से समझ में आया कि क्यों पुरानी बातें भी करनी पड़ती हैं ?
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यदि आजादी के तत्काल बाद से ही हमारे हुक्मरानों ने सरकारी धन को बड़े पैमाने पर लूट में नहीं चले जाने दिया होता तो हम भी चीन की तरह आर्थिक रूप से संपन्न बन सकते थे।
1985 तक तो सौ सरकारी पैसे घिसकर 15 पैसे ही रह गए थे।
बाद के वर्षों में क्या -क्या हुआ,वह सब इस पीढ़ी को अच्छी तरह याद है।
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--सुरेंद्र किशोर--29 जून 20

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