सारी आत्म कथाएं झूठी होती हैं
--जार्ज बर्नार्ड शाॅ
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जार्ज बर्नार्ड शाॅ ने कहा था कि
‘‘सारी आत्म कथाएं झूठी होती हैं।
मेरा मतलब कि जान बूझकर
झूठ।’’
बर्नार्ड शाॅ काफी हद तक सही थे।
पर, पूर्णतः नहीं।
मैंने पूर्व प्रधान मंत्री मोरारजी देसाई की जीवनी पढ़ी है।
मेरी जानकारी के अनुसार उसमें मुझे कोई बात झूठी नहीं लगी।
बिहार के भी एक प्रमुख नेता(अब दिवंगत) के
जीवन पर उनकी लिखी संस्मरणात्मक पुस्तक पढ़ी।
सच्ची लगी।
हां, लगता है कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की संस्मरणात्मक पुस्तक पर बर्नार्ड शाॅ की टिप्पणी एक हद तक लागू होती है।
लगता है कि प्रधान मंत्री न बन पाने की पीड़ा उन्हें अंत-अंत तक सालती रही।
स्वाभाविक ही है।
मनमोहन सिंह से तो बेहतर ही प्रधान मंत्री साबित होते।
लेकिन यदि सुप्रीमो को रबर स्टाम्प ही पसंद हो और पार्टी उसकी ‘अपनी’ हो तो फिर भला कोई क्या कर सकता है ?!!
प्रणव मुखर्जी के अनुसार, ‘‘मेरे राष्ट्रपति बन जाने के बाद कांग्रेस अपनी दिशा से भटक गई।’’
यह बात सही नहीं है।
दरअसल कांग्रेस तो उससे पहले ही भटक चुकी थी।
घोटाले-दर घोटाले के कारण कांग्रेस जनता से धीरे -धीरे कटती चली गई।
कांग्रेस के कमजोर होने का दूसरा बड़ा कारण यह था कि वह अल्पसंख्यकों की ओर कुछ अधिक ही झुकी हुई रही है।
यहां तक कि अल्पसंख्यकों के बीच के अतिवादियों की ओर भी।
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प्रणव मुखर्जी ने कभी कहा था कि ‘बोफर्स’ कोई घोटाला नहीं था,बल्कि मीडिया की उपज था।
याद रहे कि प्रणव मुखर्जी के वित मंत्रित्वकाल में ही भारत सरकार के आयकर अपीलीय न्यायाधीकरण ने सन 2011 में कहा था कि बोफर्स सौदे में क्वात्रोचि व हिन्दुजा को दलाली के पैसे मिले थे।
इसलिए उन पर भारत सरकार का टैक्स बनता है।
गत साल आयकर महकमे ने मुम्बई स्थित हिन्दुजा के एक फ्लैट का उसी एवज में नीलाम भी कर दिया।
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--सुरेंद्र किशोर--
16 दिसंबर 20
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