भगवान श्रीराम ने कहा था कि
‘‘मैं मृत्यु से नहीं डरता,डरता हूं
तो लोकापमान से।’’
इसीलिए तो वे मर्यादा पुरुषोत्तम थे !
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आज क्या स्थिति है ? !
ठीक उल्टी।
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त्रेता और कलियुग में फर्क तो होगा ही।
अपवाद तब भी थे।
अपवाद आज भी हैं।
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रावण के साथ रहकर भी विभीषण नहीं बिगड़े।
दशरथ के साथ रहकर भी कैकेयी नहीं सुधरी।
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छात्र जीवन में
शुकसागर पढ़ा था।
उसमें लिखा हुआ है--
कलियुग में राजा ही अपनी प्रजा को लूटेगा ।
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--सुरेंद्र किशोर-5 दिसंबर 20
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