कानोंकान
सुरेंद्र किशोर
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पानी ही नहीं ,अब तो आटा-चावल-आलू तक पहुंच रहा आर्सेनिक
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हाल में हुए एक रिसर्च के अनुसार भागलपुर जिले
के कई गांवों में आटा,पके चावल और आलू में आर्सेनिक पाया गया है।इससे पहले पानी में आर्सेनिक पाए जाने की खबरें आती रही हैं।
ध्यान रहे कि आर्सेनिक से कैंसर पैदा होता है।
इस देश में कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है।
2020 के आंकड़े के अनुसार इस देश में 13 लाख 90 हजार कैंसर पीड़त हैं।
इंडियन काउंसिल आॅफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार
2025 तक देश में कैंसर पीड़ितों की संख्या बढ़कर 15 लाख 60 हजार हो जाएगी।
गंगा नदी के पास के कई इलाकों का पानी पीने लायक नहीं रहा।
बिहार में गंगा के पास की कई जगहों से कैंसर के मरीज बढ़ने की खबरें आती रहती हैं।
राज्य सरकार ने कुछ साल पहले भोजपुर जिले में जल शोधन संयंत्र लगाया है ताकि जल से आर्सेनिक को अलग किया जा सके।
पर समस्या की विकरालता को देखते हुए वे नाकाफी हैं।
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समस्या की जड़
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साठ के दशक में हरित क्रांति हुई।उस क्रांति को सफल बनाने के लिए कुछ ऐसे काम किए गए जो बाद प्रति-उत्पादक साबित हुए।
अब यह साबित होने लगा है कि हरित क्रांति ने देश का जितना भला किया,उससे अधिक वह नुकसान कर गई।
हरित क्रांति में एक काम था रासायनिक खाद और कीटनाशक का अधिकाधिक उपयोग।
जिन राज्यों में इनका प्रयोग कम किया गया,वे राज्य पिछड़े माने गए।उनका उपहास किया गया।पर अब वे दूरदर्शी साबित हो रहे हैं।क्योंकि उनके यहां रासायनिक खाद-कीटनाशक से नुकसान कम हुआ।
दूसरी ओर पंजाब की बहुत सारी जमीन
लवणीय यानी खारा बन गई।
खेती योग्य नहीं रही।वहां के तो कुछ गांव उजड़ गए।क्योंकि वहां का पानी रसायनों के कारण जहरीला हो चुका था।
एक अध्ययन के अनुसार रासायनिक खाद और कीटनाशक दवाओं का कुपरिणाम देश की आधी खेती पर पड़ चुका है।
साठ के दशक में ही बिहार के पूर्व मंत्री व गांधीवादी नेता जगलाल चैधरी गांवों में किसानों से यह आग्रह कर रहे थे
कि आप लोग गोबर खाद का ही इस्तेमाल करिए।
रासायनिक खाद से आपकी खेती बर्बाद हो जाएगी।
मैं खुद इस बात का गवाह बना था जब मैं गांव में रहता था।
पर लोग चैधरी जी की बात नहीं माने।
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अब क्या है उपाय ?
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जब जहर चावल-आटा-आलू तक पहुंच गया तो इस देश-प्रदेश में कई दूरदर्शी लोग बड़े पैमाने पर जैविक खेती करने लगे ।
कुछ लोग बेचने के लिए भी जैविक उत्पाद के क्षेत्र में आए हैं।
पर जैविक उत्पाद महंगा पड़ता है।
मैं अपने घर के लिए कुछ जरूरी जैविक खाद्य-भोज्य पदार्थ तो मगंाता हूं किंतु महंगा होने के कारण सब नहीं मंगा पाता।
कैंसर से बचने के लिए मैं जैविक उत्पाद खरीदता हूं।
ऐसे में सरकार को अपनी भूमिका निभानी चाहिए।उसे जैविक उत्पाद सामग्री पर सब्सिडी देनी चाहिए।
यदि इस मद में सरकार सब्सिडी नहीं देगी तो मजबूरन कैंसर अस्पताल पर अधिक खर्च करना पड़ेगा।
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बिहार में कांग्रेस की हार या जीत ?
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यह कहना सही नहीं है कि बिहार विधान सभा चुनाव में कांग्रेस की हार हुई है।
बिहार में कांग्रेस जैसी पहले थी,वैसी ही ताकतवर आज भी है।
2015 में कांग्रेस को राजद के साथ-साथ जदयू का भी सहारा मिला था।
इसीलिए उसे तब 27 सीटें मिल गयी थीं।
इस बार जदयू का सहारा नहीं रहने पर कांग्रेस की सीटें घटनी ही थी।
उतनी ही घटी।इसमें कांग्रेस के किसी प्रादेशिक या राष्ट्रीय नेता भला क्या कसूर ?
हां,चुनाव के अवसरों पर किसी न किसी बहाने राजनीतिक विरोधी और प्रतिस्पर्धी एक -दूसरे पर आरोप लगाते ही रहते हैं।
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चुनाव नतीजे का असर पश्चिम बंगाल पर
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बिहार विधान सभा के हाल के चुनाव नतीजे का असर पश्चिम बंगाल पर अब दिखाई पड़ने लगा है।
बंगाल में मतदाताओं और तदनुसार नेताओं का धु्रवीकरण सह दल -बदलीकरण तेज हो गया है।
साठ -सत्तर के दशकों में पश्चिम बंगाल में ध्रुवीकरण का आधार था-कम्युनिस्ट बनाम गैर कम्युनिस्ट।
पर इस बार धु्रवीकरण का आधार बिलकुल बदला हुआ है।
धु्रवीकरण का मुख्य आधार ‘तुष्टिकरण बनाम सबका साथ-सबका विकास -सबका विश्वास बन गया है।
जब धु्रवीकरण का आधार ऐसा हो जाए तो चुनाव नतीजे का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है।
हालांकि यह देखना होगा कि अगले कुछ हफ्तों में विभिन्न दलों की रणनीति कैसी बनती है।
अभी तो बिहार के चुनाव नतीजे का असर पश्चिम बंगाल पर देखा जा रहा है।
किंतु बाद में पश्चिम बंगाल के चुनाव नतीजे का असर बिहार में दिखेगा।अनुमान लगा लीजिए कि वह असर कैसा होगा !
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और अंत में
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सन 1967 के आम चुनाव के बाद देश के नौ राज्यों में गैरकांग्रेसी
सरकारें बनी थीं।
बिहार सहित उनमें से कुछ राज्यों में संयुक्त
सोशलिस्ट पार्टी के नेता भी मंत्री बने थे।
संसोपा के सर्वोच्च नेता डा.राम मनोहर लोहिया ने उन सरकारों से तब दो मुख्य बातें कही थीं।
‘‘छह महीने के अंदर ऐसे -ऐसे काम करके दिखा दो कि जनता समझ जाए कि तुम्हारी सरकार , कांग्रेसी सरकार से बेहतर है।’’
उनकी दूसरी बात थी--‘‘बिजली की तरह कौंध जाओ और सूरज की तरह स्थायी हो जाए।’’
यह और बात है कि यह सब नहीं हो सका।
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प्रभात खबर,पटना
20 नवंबर 20
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