शुक्रवार, 4 दिसंबर 2020

 सीधी-सादी समस्याओं का भी ‘जलेबीकरण’ जारी ?!!

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‘लव मैरेज’ और ‘लव जेहाद’ का फर्क आम लोग अच्छी तरह  समझ रहे हैं।

पर, निहित स्वार्थी तत्व देश को गुमराह करने की कोशिश में लगे हैं। 

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--सुरेंद्र किशोर--

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उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश विधि विरूद्ध धर्म संपरिवत्र्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 जारी किया।

कुछ लोग उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चले गए।

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वे कह रहे हैं कि यह कानून संविधान के बुनियादी ढांचे के खिलाफ है।

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अरे भई, यह कानून ‘लव मैरेज’ के खिलाफ नहीं है।

चाहे लव मैरेज दो धर्मां के बीच ही क्यों न हो !

यह कानून नाम बदल कर लव करने व फिर धर्म परिवत्र्तन के लिए बाध्य करने के खिलाफ है।

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शाहरूख खान और आमिर खान की जिस तरह हिन्दू लड़कियों से शादियां हुईं,उस तरह की शादियों पर यह कानून लागू नहीं होता ।

शाहरूख और आमिर ने अपना सही नाम बता कर ही उनसे प्रेम और विवाह किया था।

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यह कानून तारा शाहदेव-रकीबुल हसन (रांची-2014) और

निकिता तोमर-तौशिफ (फरीदाबाद-2020) जैसे मामलों पर लागू होगा।

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क्या भारत के संविधान का बुनियादी ढांचा यह कहता है कि कोई तौशिफ किसी निकिता से लव करे और उससे कहे कि तुम अपना धर्म बदल लो और मुझसे शादी कर लो ?

यदि लड़की धर्म नहीं बदले तो उसे तौशिफ सरेआम गोली मार दे ????

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जेपी आंदोलन के दौरान एक अल्पसंख्यक आंदोलनकारी ने 

एक बहुसंख्यक समुदाय की आंदोलनकारी लड़की से प्रेम किया।

बाद में दोनों की शादी हुई।

अल्पसंख्यक समुदाय का वह आंदोलनकारी बाद में बिहार में मंत्री बना।

पर उसके राजनीतिक विरोधियों ने भी यह आरोप

नहीं लगाया कि उसने ‘लव जेहाद’ किया।

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--सुरेंद्र किशोर-4 दिसंबर 20


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