इस देश के कुछ नेताओं (कुछ ही नेताओं,सब नहीं)
के चाल,चरित्र,चिंतन व निजी संपत्ति के विस्तार के बारे में
देख-सुन-जान-गुण कर ऐसा लगता है कि यदि 1947 में आजादी नहीं हुई होती तो ऐसी मनोवृत्ति वाले नेतागण ‘गब्बर सिंह’ की तरह चंबल के बीहड़ों में अपने -अपने छोटे -बड़े गिरोह चला रहे होते।
सिर्फ राजनीति ही नहीं, कुछ अन्य पेशों के लुटेरों का भी कमोवेश यही हाल है।
--- एक अज्ञात
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