शुक्रवार, 4 दिसंबर 2020

   ‘मेरा क्या,’ ‘मुझे क्या,’ कहने वालों को 

  नानी याद दिला देने की जरूरत 

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इसके लिए जरूरत पड़े तो संविधान में 

संशोधन हो 

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--सुरेंद्र किशोर--

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2014 में ही प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि

‘मेरा क्या,’ ‘मुझे क्या’ ने देश को तबाह कर दिया है।

   करीब छह साल के शानकाल में इस मामले में 

प्रधान मंत्री का कैसा अनुभव रहा ? 

उन्हें देश को बताना चाहिए।

 वैसे ऊपर-ऊपर देखने से अधिकतर लोगों को लगता है कि पहले जैसे बड़े -बडे़ घोटाले और महा घोटाले तो अब नहीं हो रहे हैं।

  किंतु मेरा क्या और मुझे क्या, कह कर सरकारी निर्णयों को बेचने वाले खुदरा व्यापारीनुमा अफसरों तथा अन्य लोगों में इस बीच कितना परिवत्र्तन में आया है ?

  यह बात तो प्रधान मंत्री ही बता सकते हैं।

19 अगस्त 2014 को कैथल (हरियाणा) की सभा में प्रधान मंत्री ने कहा था कि मेरा क्या और मुझे क्या की प्रवृति को खत्म करने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है।

इसके लिए मोदी जी ने लोगों से आशीर्वाद मांगा।

2019 के लोस चुनाव में मतदाताओं ने मोदी जी को ऐसा आशीर्वाद दिया जैसा किसी अन्य प्रधान मंत्री को अब तक 

नहीं दिया था।

  मोदी के अलावा कोई दूसरा प्रधान मंत्री सिर्फ अपनी लोकप्रियता के बल पर लगातार दूसरी बार बहुमत में नहीं अए थे।

  आगे भी मोदी की बराबरी में उनका  कोई प्रतिद्वंद्वी दूर दूर तक नजर नहीं आ रहा है।

  इसलिए अनेक लोग यह चाहते हैं कि राज्य सभा में राजग का बहुमत आ जाने के बाद केंद्र सरकार संविधान में ऐसा संशोधन करें कि देश को तबाह करने वालों को उनकी नानी याद आ जाए। 

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याद रहे कि 15 अगस्त, 2014 को लाल किले से और बाद में कैथल की सभा में प्रधान मंत्री ने कहा था कि

 ‘‘कुछ लोगों की एक आदत हो गई है कि जब कोई काम की बात करो तो कहते हैं कि ‘‘इसमें मेरा क्या ?’’

जब उनका हित नहीं सधता तो कहते हैं कि ‘‘मुझे क्या ?’’

मोदी जी के अनुसार भ्रष्टाचार कैंसर से भी ज्यादा खतरनाक

है।

  प्रधान मंत्री का इशारा उन लोगों की ओर रहा है जो केंद्र सरकार में बैठकर सरकारी निर्णयों का सौदा करते रहे हैं।

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2 अक्तूबर 20


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