पश्चिम बंगाल में बदलाव अब लगभग तय !
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बदलाव से ही बचेगा बंगाल !
कैसे बचेगा, इस पर विस्तार से चर्चा फिर कभी
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--सुरेंद्र किशोर--
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क्या सन 1977 के जगजीवन राम की भूमिका
में हैं सन 2020 के सुवेंदु अधिकारी तथा अन्य ?
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सन 1977 में लोक सभा चुनाव की घोषणा हो जाने के बाद अचानक जगजीवन राम ने अपने साथियों के साथ कांग्रेस छोड़
दी थी।
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2021 के पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव से कुछ ही महीने पहले तृणमूल कांग्रेस के प्रभावशाली नेता सुवेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी की पार्टी को बाॅय -बाॅय कह दिया
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कहते हैं कि 1977 में जगजीवन राम उर्फ ‘‘बाबू जी’’ ने पहले ही चुनावी हवा का रुख पहचान लिया था।
उन्हें लगा था कि यदि वे कांग्रेस में बने रहे तो खुद भी चुनाव नहीं जीत पाएंगे।
याद रहे कि 1977 के लोक सभा चुनाव में कुछ अन्य राज्यों के साथ -साथ बिहार की भी सारी सीटें कांग्रेस हार गई थी।
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कहते हैं कि सुवेंदु अधिकारी से पहले बंगाल की अधिकतर जनता ने भाजपा को 2021 में जिताने का मन बना लिया था।
सुवेंदु ने जनता का अनुसरण मात्र किया।
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जगजीवन राम के कांग्रेस छोड़ने के बाद जनता पार्टी की भीतरी हवा आंधी बन कर सतह पर आ गई थी।
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सुवेंदु के टी.एम.सी.छोड़ने के बाद ममता बनर्जी भी हिल गई हैं।तृणमूल के अनेक कार्यकत्र्ता अनुत्साहित हो गए हैं।
पश्चिम बंगाल से बाहर आ रही खबरों के अनुसार अब कोई राह नहीं बची है ममता बनर्जी के लिए।
संकेत हैं कि अभी तो कुछ और नेता ममता का साथ छोड़ेंगे।
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अब लगता है कि पश्चिम बंगाल बच जाएगा।
ममता बनर्जी ने अपने वोट बैंक खासकर एक करोड़ बंगला देशी घुसपैठियों के लिए राज्य,देश और राजनीति का जितना नुकसान किया ,इतिहास में उसकी कोई दूसरी मिसाल नहीं है।
बंगाल की जनता कितना बर्दाश्त करती ?
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बीच में कोई चमत्कार नहीं हुआ तो 2021 में ममता बनर्जी के हाथों से सत्ता निकल जाएगी।
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यदि सत्ता रह जाएगी तो क्या होगा ?
यदि सत्ता चली जाएगी तो ममता बनर्जी खुद,देश व पश्चिम बंगाल के साथ कैसा सलूक करेंगी ?
इन राजनीतिक -गैर राजनीतिक बातों को लेकर थोड़ा आप भी अपने अनुमान के घोड़े दौड़ाइए।
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18 दिसंबर 20
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