सोमवार, 29 जनवरी 2018

सरकारी खजाने के लुटेरे और घर पहुंचे डाकू में कितना अंतर ?


 प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि अभी इस देश के तीन पूर्व मुख्य  मंत्री जेलों में हैंं। भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारा अभियान जारी रहेगा।
उन्होंने एन.सी.सी.की रैली में रविवार को यह बात कही।उन्होंने युवाओं से कहा कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ें।
उन्होंने सही जगह पर सही बात कही।यह सच है कि अब उम्मीद तो नयी पीढ़ी से  ही है।
हालांकि मोदी की बात से भ्रष्टाचार को लेकर देश की अधूरी तस्वीर ही सामने आती है। भ्रष्टाचार के मामले में इस देश का हाल यह है कि यदि कानून को काम करने दिया गया होता  तो आज  कम से कम एक दर्जन पूर्व मुख्य मंत्री विभिन्न जेलों में बंद होते।
एक पूर्व प्रधान मंत्री की उम्र तो जेल में ही कट गयी होती।
 वैसे एक उप मुख्य मंत्री छगन भुजबल और पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री मतंग सिंह भी इन दिनों जेलों में ही हैं।नरसिंह राव  मंत्रिमंडल में मतंग सिंह भले राज्य मंत्री थे, पर उनका रुतबा किसी कैबिनेट मंत्री की तरह था।
 यदि जयललिता जीवित होतीं तो वह भी अभी जेल की  ही शोभा बढ़ा रही होतीं।इस देश में क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम का हाल यह है कि पिछले दिनों  पूर्व मुख्य मंत्री मुलायम सिंह यादव ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि यदि अमर सिंह ने मुझे नहीं बचा लिया होता तो मैं जेल में होता।
यानी अमर सिंह जैसे कुछ लोगों को भी यह सुविधा मिली हुई है कि वे किसी को जेल जाने से बचा लें।यानी जांच एजेंसियों और अदालतों को हमारे देश के हुक्मरान कई बार काम ही करने नहीं देते, अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए।
भ्रष्टाचार के कई गंम्भीर  मामले तो अपनी तार्किक परिणति तक पहंुच  ही नहीं पाते।
 क्या खुद मौजूदा प्रधान मंत्री यह भी सुनिश्चित करेंगे कि वे अपना काम बिना भेदभाव के करें ?
  कई साल पहले असम के एक मुख्य मंत्रंी के खिलाफ वहां के राज्यपाल ने मुकदमा चलाने की अनुमति ही अज्ञात कारणों से नहीं दी।जबकि आरोप बहुत ही गंम्भीर थे।अनुमति देते तो  वे भी जेल में होते।उस राज्यपाल ने बाद में अजीब सफाई दी। सफाई में तीन अलग -अलग के अपने भाषणों मंे उन्होंने तीन अलग -अलग कारण बताए।तीनांे बोगस।
उनमें एक कारण यह भी था कि यदि मुख्य मंत्री जेल चले जाते तो इस सीमावर्ती राज्य में राजनीतिक अस्थिरता आ जाती।
  कानून को काम करने दिया जाता तो उत्तर प्रदेश के दो पूर्व मुख्य मंत्री भी जेल मंे होते।कई लोगों को आश्चर्य हो रहा है कि हिमाचल प्रदेश के एक पूर्व मुख्य मंत्री अब तक जेल से बाहर क्यों हैं ?
महाराष्ट्र के कई बड़े नेता जेल जाने की अपार योग्यता रखते हैं।उनमें कुछ पूर्व  मुख्य मंत्री भी शामिल हैं।
 इन दिनों देश के दो मौजूदा मुख्य मंत्री जेल जाने की पात्रता हासिल करने की भरपूर कोशिश में लगे हुए हैं।
 कुछ पूर्व मुख्य मंत्रियों की संतानें  भी क्यू में हैं।दक्षिण भारत के एक पूर्व मुख्य मंत्री के पुत्र के पास तो 365 करोड़ रुपए की संपत्ति का पता चला है।वे जेल से बाहर हैं।सी.बी.आई.का आरोप हैं कि वे सबूतों को नष्ट करने में लगे हुए हैं।  
कितने उदाहरण बताए जाएं ,लंबा हो जाएगा।
कल्पना कीजिए कि आपकी जाति के ही दस डाकू घातक हरवे- हथियार के साथ रात में आपके घर में घुस जाए।हथियार दिखा कर आपकी सारी कमाई लूट ले जाए।
 इस बीच आपके परिवार के एक सदस्य की हत्या भी कर दे।
क्या उसके बाद आप कहेंगे कि चलिए कोई बात नहीं ,डाकू मेरी ही जाति का ही तो था।दूसरी जाति के लोग भी तो लूटते ही हैं।
 ऐसा आप नहीं कहेंगे।क्योंकि आप पर सीधे मार पड़ी है।
पर जब सरकारी खजानों से आपके ही दिए हुए टैक्स के पैसों 
को सत्ताधारी नेता,व्यापारी  व अफसर लूट लेते हैं तो आपको कोई एतराज नहीं होता।क्योंकि वह आपकी जाति का होता है।सरकारी खजाने के लुट जाने का नतीजा यह भी होता है कि कई बार सरकार के पास सरकारी अस्पतालों में डिटाॅल,रुई आदि के लिए भी पैसे नहीं होते।वेतन व जरूरी सुविधा के अभाव में डाक्टर वहां नहीं मिलते।आपके परिवार का किसी  गंभीर मरीज का वहां इलाज नहीं हो पाता।वह इलाज के अभाव में गुजर जाता है।क्या वह उसी तरह की हत्या नहीं जैसी हत्या डकैती के क्रम में कोई डाकू किसी गृहस्वामी की कर देता है।
अब तो यह सब नयी पीढ़ी को ही सोचना है।
 ---सुरेंद्र किशोर -ब्लाॅग पर।
@29 जनवरी 2018@
  


   

2 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

समस्या का मूल कहाँ है, निदान की शुरुआत कहाँ से हो?

Unknown ने कहा…

समस्या का मूल कहाँ है, निदान की शुरुआत कहाँ से हो?