शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2018

घाटे के बजट वाले देश के नेताओं के महंगे परिधान


 गलत आर्थिक नीतियों के कारण इस देश की 73 प्रतिशत संपत्ति एक प्रतिशत धनवानों के पास सिमट गयी है।
दूसरी ओर केंद्र सरकार अपना खर्च चलाने के लिए यदा -कदा मार्केट से कर्ज लेती है और अतिरिक्त नोट छापती है।बल्कि उसे यह सब करना पड़ता है।
 इन सबके बावजूद हमारे कोई नेता कभी दस लाख का सूट पहन कर निकलते हैं कभी कोई अन्य नेता 70 हजार का जैकेट।
  महात्मा गांधी कोई नादान नेता नहीं थे जो जान बूझ कर  अध नंगा फकीर बने हुए थे ! वे समझते थे कि आम जनता का विश्वास पाने के लिए उसी की तरह दिखना  पड़ेगा।रहना भी पड़ेगा।
 पर जहां विश्वास पाने का तरीका जातीय व सांप्रदायिक वोट बैंक हो , पक्ष में बहने वाली नकारात्मक चुनावी हवा हो, वहां खुद को जनता जैसे दिखने से क्या लाभ ?
  अधिक दिन नहीं हुए जब इस देश के एक मुख्य मंत्री 70 लाख रुपए की घड़ी पहनने लगे थे।उन्हें ‘उपहार’ में मिली थी।आलोचना होने पर उन्होंने पहनना छोड़ दिया था।
  दस लाख रुपए का सूट या 70 हजार रुपए का जैकेट  कोई और ही देता  है ! वे दाता कौन हैं ?
वही एक प्रतिशत लोगों में से ही तो कोई हांेगे जिनके पास इस गरीब देश की 73 प्रतिशत दौलत है।
कई साल पहले एक मुख्य मंत्री ने जब लाखों रुपए के नोटों की माला पहनी तो यह कहा गया कि ऐसी अमीरी देख कर उनका ‘वोट बैंक’ खुश होता है।
  कोई सांसद, मुख्य मंत्री या प्रधान मंत्री  अपने वेतन के पैसों से ऐसा आलीशान जीवन नहीं बिता सकता है।
उसे इसके लिए कर चोरों और घोटालेबाजों को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उपकृत करना पड़ता है।
  हमारे देश में यदि कर चोरी बंद हो जाए और घोटालों में संसाधन बर्बाद होने रुक जांए तो सरकारों  के बजट का आकार दोगुना हो सकता है।
 बड़ा बजट यानी विकास व कल्याण कार्यों पर अधिक खर्च।
पर यह सांसदों के वेतन को दोगुना करने जैसा कोई जरूरी काम तो है नहीं जो किया जाए ! 
 पर उसमें दिक्कत है कि तब हमारे अधिकतर हुक्मरानों के आलीशान जीवन में बाधा आएगी।वे अपनी अगली  सात पीढि़यों के लिए धनार्जन नहीं कर पाएंगे।
 वे न तो चार्टर्ड प्लेन से यात्रा कर पाएंगे और न ही महंगे सूट- बूट में दिखेंगे।
 हालांकि आज भी ईमानदार नेता जहां -तहां मौजूद हैं।
पर उन्हें जनहित में जितना कारगर होना चाहिए,वे नहीं हो पा रहे हैं।
 सर्वोत्तम चालाकी है ईमानदारी ---
कहा गया है कि ‘ओनेस्टी इज द बेस्ट पाॅलिसी।’
यानी ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है।यह नहीं कहा गया कि ईमानदारी सर्वोत्तम गुण है।क्यों ?
गुण तो है ही।
 शब्द कोष में आप पाएंगे कि पाॅलिसी का  अर्थ कूटनीति और चालाकी भी है।मैं यहां चालाकी शब्द को सटीक  मान रहा हूं।ं
 आज के संदर्भ में ईमानदारी को अपनी नीति यानी चालाकी बना लेने वाले कई नेता जन -जन के प्रिय हुए हैं।
गांधी जी उन्हीं लोगों में से थे।
गांधी जी पोरबंदर के  दीवान के पुत्र थे।
खुद उन्होंने लंदन से बैरिस्टरी की पढ़ाई की थी।
 उन्हें अध नंगा फकीर बनने की कोई मजबूरी  नहीं थी।
आजादी की लड़ाई के अधिकतर  योद्धा पूरा कपड़ा पहनते ही थे।उनका भी काम चल ही रहा था। 
पर गांधी जी को तो अंतिम व्यक्ति से पूरा तादात्म्य स्थपित करना था।उन्होंने किया।देश का विश्वास जीता।देश को उसका लाभ भी मिला।
   वरूण की अपील में संशोधन--
वेतन में सौ प्रतिशत वृद्धि की मांग के बीच भाजपा सांसद वरूण गांधी ने अमीर सांसदों से अपील की है कि वे वेतन न लें।
 वरूण गांधी को इसके बदले अमीर सांसदों से यह अपील करनी चाहिए कि वे वेतन तो ले लें, पर उसके अलावा किसी से कोई उपहार स्वीकार न करें। न तो वे दस लाख का सूट स्वीकार करें या 70 हजार  का जैकेट।  अपने ऐसे किसी महंगे परिधान को पहन कर कम से कम गांधी जयंती समारोह में तो कत्तई शामिल न हों।
70 लाख की घड़ी भी नहीं या कोई अन्य  चीज भी उपहार में न लें,ऐसी अपील वरूण तो कर ही सकतेे हैं।
इसी से इस गरीब देश का बहुत भला हो जाएगा।
सांसदों के वेतन के बारे में डा.आम्बेडकर ने कहा था कि उनको  उचित वेतन तो मिलना ही चाहिए। 
पटना के लिए मिनी रिंग रोड भी उपयोगी
पटना रिंग रोड के एलाइनमेंट को केंद्र सरकार की मंजूरी मिल गयी।
यह इस प्रादेशिक राजधानी के लोगों के लिए बहुत बड़ी खबर है।
पर इसके साथ ही कुछ मिनी रिंग रोड की भी जरूरत पड़ेगी।
ऐसी ही एक मिनी रिंग रोड की गुंजाइश पटना एम्स के पास बनती है।
 चार किलोमीटर की एक ग्रामीण सड़क एन.एच.-98 और एन.एच.-30 को जोड़ती है।
प्रधान मंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत निर्मित यह छोटी सड़क जमालुद्दीन चक से चकमुसा तक जाती है। 
इसके चैड़ी करण के बाद यह एक रिंग रोड का हिस्सा बन जाएगी।फिर तो हजारों की आबादी के लिए एम्स पहुंचना काफी आसान हो जाएगा।
 इस सड़क के चैड़ी करण के लिए शायद जमीन के अधिग्रहण की जरूरत नहीं पड़ेगी।
  कम सरकारी खर्च में ही बहुत उपयोगी काम हो जाएगा।
 एम्स से अनिसाबाद तक प्रस्तावित एलिवेटेड सड़क से जहां गया और बख्तियार पुर की तरफ से मरीजों का एम्स पहुंचना आसान हो जाएगा,वहीं जमालुद्दीन चक-चकमुसा के चैड़ी करण से पश्चिम तरफ से आने वालों को सुविधा होगी।
 याद रहे कि इस साल एम्स के विस्तार का काम पूरा होने वाला है।इससे मरीजों की आवाजाही काफी बढ़ जाएगी।
    एक भूली बिसरी बात--
 प्राच्य विद्या विशारद फ्रेडरिक मैक्स मूलर ने कहा था कि 
‘अपने पूर्वजों या यूं कहें कि पूर्ववर्ती लोगों के अनुभवों का लाभ यदि हमें न मिले तो उन्हीं अनुभवों को प्राप्त करने के लिए हमें फिर से नया प्रयत्न पारंभ करना पड़ेगा।
इतिहास ही हमें अपने पूर्ववर्ती लोगों के अनुभवों ,उनकी सुविधाओं और कठिनाइयों का ज्ञान कराता है।और इसी ज्ञान के सहारे हम उनकी सुविधाओं को ग्रहण करते हुए तथा उनकी कठिनाइयों से बचते हुए अपने जीवन मार्ग को अधिक सुविधापूर्ण तथा सफल बनाने का प्रयास करते हैं।
केवल इतिहास ही हमें इस प्रकार की प्रेरणा दे सकता है कि हम अपने पूर्वजों से भी आगे  और ऊंचे पहंुच सकें।’
मैक्स मूलर ने जो कुछ कहा है , वह सही है।पर सवाल है कि 
हमारे देश का जो इतिहास लिखा गया है और जो पढ़ाया जाता है, उनमें कितनी शुद्धता है और कितनी मिलावट ?
यदि हम सही इतिहास नहीं पढ़ेंगे तो सही सबक कैसे ग्रहण कर पाएंगे ? 
      और अंत में---
  बिहार ही नहीं, बल्कि पूरे देश के सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर गिर रहा है।
एक ताजा सर्वेक्षण रपट केंद्र सरकार ने गत माह जारी  की ।उसके अनुसार आठवी कक्षा के सिर्फ 57 प्रतिशत छात्रों ने भाषा विषय में सही जवाब दिये।गणित में 8 वीं कक्षा के छात्रों की हालत और भी खराब है।उनमें से सिर्फ 42 प्रतिशत के जवाब संतोषजनक थे।


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