एक टी वी दर्शक ने कहा कि ‘मैं हर शाम
अपने टी.वी.सेट पर रिमोट दबा-दबा कर पहले
यह देख लेता हूं कि किस चैनल पर सबसे कम शोरगुल हो रहा है।
बस उसी चैनल पर ठहर जाता हूं भले कार्यक्रम कुछ कम
सूचनाप्रद हो।ऐसे चैनल को क्या देखना जहां हर समय चार लोग एक साथ एक -दूसरे पर ऐसे झपटते रहते हैं जैसे गली के ........।कोई किसी का नहीं सुनता ।क्या एंकर को भी यह समझ में नहीं आता कि श्रोता कैसे सुन और समझ पाता होगा ? सही बात तो यह है कि श्रोता के पल्ले कुछ नहीं पड़़ता।
अपने टी.वी.सेट पर रिमोट दबा-दबा कर पहले
यह देख लेता हूं कि किस चैनल पर सबसे कम शोरगुल हो रहा है।
बस उसी चैनल पर ठहर जाता हूं भले कार्यक्रम कुछ कम
सूचनाप्रद हो।ऐसे चैनल को क्या देखना जहां हर समय चार लोग एक साथ एक -दूसरे पर ऐसे झपटते रहते हैं जैसे गली के ........।कोई किसी का नहीं सुनता ।क्या एंकर को भी यह समझ में नहीं आता कि श्रोता कैसे सुन और समझ पाता होगा ? सही बात तो यह है कि श्रोता के पल्ले कुछ नहीं पड़़ता।
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