शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2018

पत्रकारिता के शीर्ष पुरूष राजेंद्र माथुर से 1983 में
हुई मेरी बातचीत का एक छोटा अंश मैं यहां प्रस्तुत 
कर रहा हूं।
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मैं -- आपका अखबार दब्बू है। आप इंदिरा गांधी के खिलाफ नहीं लिख सकते ।
माथुर साहब - यू आर मिस्टेकन।मेरा अखबार दब्बू नहीं है।
आप इंदिरा गांधी के खिलाफ जो भी खबर लाएं, मैं जरूर छापूंगा।पर इंदिरा जी में कई अच्छाइयां भी हैं।मैं उन्हें भी छापूंगा।मेरा अखबार अभियानी नहीं है।
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आज  मैं देखता हूं कि मीडिया का एक बड़ा हिस्सा एक तरफ है तो दूसरा बड़ा हिस्सा दूसरी तरफ।दोनों के अपने -अपने तर्क भी हैं।
पर, मैं ऋषि तुल्य राजेंद्र माथुर के इस विचार को पत्रकारिता के लिए आदर्श मानता हूं।
आप इस पर क्या सोचते हैं ?   

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