मंगलवार, 6 फ़रवरी 2018

  सर्व ब्राह्मण महा सभा के अध्यक्ष सुरेश मिश्र ने 
लक्ष्मी बाई के जीवन पर निर्माणाधीन फिल्म का विरोध किया है।उनका आरोप है कि फिल्म में लक्ष्मी बाई को एक अंग्रेज की प्रेमिका दिखाया जा रहा है।
वीरांगना लक्ष्मी बाई के जीवन को इस तरह दिखाना 
सचमुच आपत्तिजनक है।
ब्राह्मण समाज ही नहीं बल्कि अन्य समाजों को भी इसका विरोध करना चाहिए।
लक्ष्मीबाई के बलिदान और बहादुरी से इस देश के हजारों लोग प्रेरणा लेते हैं।उनकी छवि खराब करोगे तो लोग किससे प्रेरणा लेंगे ?
पर हमारे कुछ फिल्म निर्मातागण हमारे शौर्य, आस्था और बलिदान के प्रतीकों को एक -एक करके ध्वस्त करने पर तुले रहते हैं।
जाने-अनजाने वे उन विदेशी व भारत विरोधी तत्वों के हाथों खेल रहे हैं जो आजादी के बाद से ही यह कोशिश कर रहे हैं कि इस देश को विचार मुक्त और गौरव मुक्त बना दिया जाए ताकि विदेशी विचारों व धार्मिक आस्थाओं के प्रचार-प्रसार  में उन्हें सुविधा हो।
 ब्राह्मण सभा ने विरोध किया है तभी  कई लोगों को पता चला है  कि लक्ष्मी बाई ब्राह्मण परिवार से थीं।अन्यथा यह देश उन्हें सिर्फ स्वतंत्रता प्रेमी व बलिदानी महिला के रूप में जानता रहा  है।
 जिस तरह पद्मावती@पद्मावत के विरोध का जिम्मा सिर्फ कर्णी सेना पर छोड़ दिया गया,वैसा लक्ष्मी बाई को लेकर नहीं होना चाहिए।
  अन्यथा ऐसे तत्व ही ताकतवर होते जाएंगे जो ‘बांटो और राज करो’ में विश्वास करते हैं।गत नवंबर में जावेद अख्तर ने कहा था कि इतिहास में यह कहीं नहीं मिलता कि जोधा बाई नाम से अकबर की कोई पत्नी थी।अख्तर के अनुसार यह तो मुगल ए आजम फिल्म के कथा लेखक की कल्पना थी।
 यदि यह सच है तो कल्पना कीजिए कि किस तरह मुगल ए आजम के जरिए नाहक  राजपूतों के स्वाभिमान को धक्का पहुंचाया गया ।उसके बाद कैसे -कैसे प्रचार हुए ?
किस तरह कुछ लोगों ने राजपूतों का जिक्र होने पर महाराणा प्रतात के बदले मान सिंह का नाम ले लेते है ! 

  

कोई टिप्पणी नहीं: