कई साल पहले दिल्ली के एक बहुत बड़े पत्रकार ने एक राज की बात मुझे बताई थी। उस पत्रकार से पंजाब के एक बहुत बड़े नेता ने एक शिकायत की थी। नेता ने कहा था कि मुझसे दिल्ली के एक बहुत बड़े पत्रकार ने 5 करोड़ रुपए ठग लिए।
मुझे तब लगा था कि किसी के पास पांच करोड़ रुपए ठगवाने के लिए आते कहां से हैं ? मैं अनुमान के घोड़े दौड़ाने लगा। पंजाब में खेती बहुत अच्छी होती है।
घूसखोरी भी बहुत है। बाद में सुना कि वहां ड्रग्स के करोबार में भी बहुत पैसे हैं।
पर, वह नेता ड्रग्स के धंधे में नहीं रहा। मैं किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सका। बात यह भी है कि बहुत रिश्क उठा कर इन तरीकों से कमाए जाते हैं। कोई उन पैसों में से पांच करोड़ क्यों किसी को यूं ही दे देगा ?
पर मैंने जब कैप्टन अमरेंद्र सिंह के दामाद के बैंक घोटाले की कहानी पढ़ी तो राज समझ गया। यानी किसानों के नाम पर बैंकों से करोड़ों उठा लो और अधिक खुद रखो और कुछ ऐसे लोगों में बांट दो जिनके मुंह, कलम और कैमरे बंद कर देने की जरूरत महसूस हो।
इसलिए कि बैंकों के पैसे लौटाने की जरूरत तो है नहीं।अधिक कड़ाई हो तो विदेश भाग जाओ।कदम- कदम पर मदद के लिए लोग इस देश में मौजूद रहते ही हैं ।हमेशा रहे हैं।
मैं यह नहीं कह रहा हूं कि कैप्टन के दामाद ने उस पत्रकार को पैसे दिए होंगे। पर जब बैंकों को इस तरह लूटने की छूट उपलब्ध है तो इस काम में सिर्फ अमरेंद्र के दामाद ही नहीं लगे होंगे !
कोई अन्य भी हो सकता है।
मुझे तब लगा था कि किसी के पास पांच करोड़ रुपए ठगवाने के लिए आते कहां से हैं ? मैं अनुमान के घोड़े दौड़ाने लगा। पंजाब में खेती बहुत अच्छी होती है।
घूसखोरी भी बहुत है। बाद में सुना कि वहां ड्रग्स के करोबार में भी बहुत पैसे हैं।
पर, वह नेता ड्रग्स के धंधे में नहीं रहा। मैं किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सका। बात यह भी है कि बहुत रिश्क उठा कर इन तरीकों से कमाए जाते हैं। कोई उन पैसों में से पांच करोड़ क्यों किसी को यूं ही दे देगा ?
पर मैंने जब कैप्टन अमरेंद्र सिंह के दामाद के बैंक घोटाले की कहानी पढ़ी तो राज समझ गया। यानी किसानों के नाम पर बैंकों से करोड़ों उठा लो और अधिक खुद रखो और कुछ ऐसे लोगों में बांट दो जिनके मुंह, कलम और कैमरे बंद कर देने की जरूरत महसूस हो।
इसलिए कि बैंकों के पैसे लौटाने की जरूरत तो है नहीं।अधिक कड़ाई हो तो विदेश भाग जाओ।कदम- कदम पर मदद के लिए लोग इस देश में मौजूद रहते ही हैं ।हमेशा रहे हैं।
मैं यह नहीं कह रहा हूं कि कैप्टन के दामाद ने उस पत्रकार को पैसे दिए होंगे। पर जब बैंकों को इस तरह लूटने की छूट उपलब्ध है तो इस काम में सिर्फ अमरेंद्र के दामाद ही नहीं लगे होंगे !
कोई अन्य भी हो सकता है।
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