रविवार, 18 फ़रवरी 2018

---और भी खतरे हैं माल्या-मोदी के सिवा ----
31 जनवरी, 2018 के हिंदू में  मैंने मुर्गे को लेकर एक पेज की खोजपूर्ण रपट पढ़ी थी।
तभी सोचा था कि कभी बाजार जाउंगा तो देखूंगा कि 
मुर्गे की मोटाई का इन दिनों क्या हाल है।
निरामिष होने के कारण मैं मांस-मुर्गे की दुकान देख कर मुंह फेर लेता हूं।
  कुछ साल पहले तक कभी -कभी मुर्गे को करीब से देख लेता था।पर साठ साल की उम्र में निरामिष हो गया।
  आज बाजार में मुर्गे की एक दुकान के पास ठहर कर गौर से देखा।
मोटे -मोटे मुर्गे नजर आए।
 हिन्दू ने यही तो लिखा था।
 अखबार के अनुसार इन दिनों मुर्गों को कोलिस्टीन नामक सुपर एंटी बायोटिक दिया जा रहा है।
मुर्गा फार्म की साफ-सफाई पर  ध्यान नहीं दिया जाता।
इसलिए अनेक मुर्गे मरते रहते  थे।पर इस एंटीबायोटिक के चलन के बाद अब वे नहीं मरते। साथ ही जल्द ही वे वजनदार भी हो जाते हैं।
 पर जो लोग वैसे मुर्गे खाते हैं,बीमार होने पर खुद उन पर कोई एंटी बायोटिक दवा जल्द काम नहीं करती।
क्योंकि ‘लास्ट होप’ के नाम से चर्चित कोलिस्टीन तो मुर्गा को दिया जा चुका है जिसे आपने खाया है। 
दरअसल इस देश को सिर्फ विजय माल्या -नीरव मोदी से ही खतरा नहीं है।कोलिस्टीन देने वाले मुर्गा फार्म मालिकों से भी तो है ! वैसे लोगों से मुर्गा खाने वालों को कौन बचाएगा ?
क्या हिंदू अखबार का कुछ असर सरकारों पर पड़ा ?

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