मंगलवार, 20 फ़रवरी 2018

एक तरफ हर्षद मेहता जेल में ही मर गया, उधर लक्खुभाई केस में भी रिहा हो गए नर सिंह राव



          
शेयर दलाल हर्षद मेहता ने शपथ पत्र के जरिए तत्कालीन प्रधान मंत्री को घूस देने का आरोप सार्वजनिक रूप से लगाया था।
पर न तो झूठा आरोप लगाने के आरोप में हर्षद को सजा हुई और न ही घूस लेने के आरोप में नरसिंह राव को।
 नतीजतन इस देश में भ्रष्टाचार बढ़ता चला गया।
 हां, एक अन्य मामले में सजायाफ्ता हर्षद मेहता
2002 में जेल में ही मर गया।दूसरी ओर लक्खुभाई पाठक केस में नरसिंह राव 2003 में अदालत से बाइज्जत बरी हो गए थे।
   हर्षद मेहता ने 16 जून 1993 को मुम्बई के   प्रेस कांफ्रेंस में  यह आरोप लगाया था कि उसने प्रधान मंत्री पी.वी.नरसिंह राव को एक करोड़ रुपये से भरा एक सूटकेस उनके दिल्ली स्थित आवास पर जाकर घूस के रूप में दिया।
 उस प्रेस कांफ्रंेस में मशहूर वकील राम जेठमलानी भी मेहता की मददगार के रूप में मौजूद थे।
  दूसरी ओर इस आरोप को झूठ का पुलिंदा बताते हुए कांग्रेस ने कहा था कि मेहता प्रधान मंत्री का ब्लैकमेल करने के लिए यह झूठा आरोप लगा रहा है।
इस सनसनीखेज आरोप पर होना तो यह चाहिए था कि या तो रिश्वत लेने के लिए नरसिंह राव के खिलाफ कार्रवाई होती या फिर झूठ बोलने के लिए हर्षद मेहता के खिलाफ ।पर कुछ भी नहीं हुआ।मामला यूं ही रफा -दफा हो गया।क्योंकि इसी में महा प्रभुओं को फायदा दिखा।
  पर, इसके साथ ही हर साल इस देश के बड़े -बड़े नेताओं पर बड़े- बड़े घोटालों के आरोप लगते रहते  हैं और मामला रफा -दफा होता रहता है।किसी घोटाले बाज अधिकतर नेताओं  का अंततः कुछ  
नहीं बिगड़ता।इसके साथ ही सरकारी भ्रष्टाचार इस देश में दिन दुनी रात चैगुनी बढ़ता जा रहा है।किसी के खिलाफ कार्रवाई हुई भी लोकहित याचिकाओं पर अदालतों के निदेशों  के कारण ही।
सत्ताधारी नेताओं ने शायद ही कभी खुद कार्रवाई की।अपवादों की बात और है।
  काश ! हर्षद मेहता या फिर नरसिंह राव में से किसी को भी सजा मिली होती तो बाद के घोटाले नहीं होते।
  इसी बहाने एक बार फिर नरसिंह राव-हर्षद प्रकरण याद कर लिया जाए।  
हर्षद मेहता ने तब यह आरोप लगाया था कि मैं अपने साथ प्रधान मंत्री आवास एक सूटकेस ले गया था।उसमें 67 लाख रुपये थे।उसे मैंेने प्रधान मंत्री के व्यक्तिगत सचिव राम खांडेकर को दे दिया।ऐसा मैंेने प्रधान मंत्री के कहने से किया।एक करोड़ देने की बात थी,पर उस दिन सुबह तक मैं 67 लाख का ही प्रबंध कर सका था।दूसरे दिन मैंने शेष रकम पहुंचा दी।
  मैंेने मुलाकात के दौरान प्रधान मंत्री को यह भी बताया था कि शेयर बाजार में पैसे कमाना कितना आसान है।मैंने शपथ पत्र के जरिए प्रधान मंत्री को पैसे देने की बात कह दी है।
   जेठमलानी से पूछा गया था कि क्या हर्षद  की कही गई बातों को आप सिद्ध कर सकते हैं ? मशहूर वकील ने कहा था कि हमारे पास इतने प्रमाण हैं कि हम अग्नि परीक्षा से भी बखूबी गुजर सकते हैं।जरूरत पड़ेगी तो हम प्रमाणों को पेश कर देंगे।
  क्या हर्षद मेहता प्रधान मंत्री को ब्लैकमेल नहीं कर रहा है ?
इस सवाल के जवाब में जेठमलानी ने कहा कि सवाल यह है कि वह ऐसा भला क्यों करेगा ?वह एक सौ ग्यारह दिन पुलिस कस्टडी में रहते हुए ब्लैक मेल कर सकता था।किंतु तब तो उसने यह काम नहीं किया।
   इस संबंध में जब मशहूर वकील नानी पालकीवाला से पूछा गया कि मेहता के आरोप में कितनी सच्चाई है ?पालकीवाला ने कहा कि शपथ पत्र में दिए गए हर्षद के बयान में सच्चाई प्रतीत होती है।चारित्रिक रूप से हर्षद भले ही असामान्य व्यक्ति है,पर वह प्रधान मंत्री पर ऐसे आरोप लगाने की हिमाकत तभी कर सकता है ,जब उसके पास ठोस प्रमाण हो।
    अगर हर्षद का आरोप सच है तो प्रधान मंत्री को ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए ? इस पर पालकीवाला  ने कहा कि अगर आरोप सच है तो प्रधान मंत्री को इसे स्वीकार कर लेना चाहिए।लोक सभा का ऐसा कौन सा सदस्य है जिसने दूसरों की वित्तीय मदद के बिना चुनाव जीता हो ? कथनी और करनी में एकरूपता और अनुरूपता दिखाने का यही समय है।
  याद रहे कि प्रधान मंत्री पर यह आरोप लगा था कि उन्होंने नंदियाल लोक सभा उप चुनाव में खर्च करने के लिए हर्षद मेहता से आर्थिक मदद ली थी।जब 1991 में वे प्रधान मंत्री बने थे तब वे संसद के किसी सदन के सदस्य नहीं थे।बाद में वे नंदियाल से जीत कर आये।लोक सभा में भी  तब कांग्रेस को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं था।तब झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसदों को रिश्वत देकर नरसिंह राव ने अपनी सरकार बचाई थी।रिश्वत लेकर वोट देने का आरोप बाद में साबित भी हो गया ।पर उसको लेकर किसी को सजा इसलिए नहीं हो सकी क्यों कि वैसा करने का कोर्ट को अधिकार ही नहीं है।यह अधिकार कोर्ट को अब भी नहंी है।याद रहे कि संसद के भीतर के कामों के लिए किसी सांसद पर कोर्ट में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। 
@फस्र्टपोस्टहिंदी में 19 फरवरी 2018 को प्रकाशित मेरे काॅलम दास्तान ए सियासत से@

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