शनिवार, 3 फ़रवरी 2018

अस्सी के दशक की बात है।
इस देश के एक प्रभावशाली व सत्ताधारी सांसद ने अपने चुनाव क्षेत्र के एक स्वजातीय दबंग परिवार के चार बेराजगार नौजवानों को बारी -बारी से नौकरी दिलवा दी।बड़ी उम्मीद थी कि अब तो वह परिवार आजीवन आभारी रहेगा।
 पर, जब वे उस परिवार के पांचवें बेराजगार को कहीं नहीं रखवा सके तो वह परिवार उनके खिलाफ हो गया।
अगले चुनाव में पूरे गांव को बेचारे सांसद के खिलाफ कर दिया।वे  हार गए।हालांकि उनकी हार के कुछ अन्य कारण भी रहे होंगे।
किसी ने उनसे पूछा था कि आप क्यों हारे ? उसके जवाब में उन्होंने खुद यह बात बताई थी।
  इस कहानी का ‘माॅरल’ यानी सबक क्या है ?



कोई टिप्पणी नहीं: