सोमवार, 26 फ़रवरी 2018

दैनिक जागरण की खबर है कि उद्गम स्थल गोमुख से ऋषिकेश  तक 
गंगा का पानी पीने लायक है।ए श्रेणी का है।
 खबर के अनुसार गंगा को स्वच्छ व निर्मल बनाने के लिए  केंद्र की महत्वाकांक्षी योजना नमामि गंगे परियोजना का असर देव भूमि में नजर आने लगा है।
   यह एक उत्साहजनक खबर हे।
पर सवाल है कि ऋषिकेश से आगे की गंगा कब तक निर्मल होगी ?
क्या अविरलता के बिना निर्मलता आ पाएगी ?
अविरलता की राह में जो रोड़े खड़े कर दिए गए हैं,उन्हें हटाए बिना पूरी गंगा को निर्मल बनाया जा सकता है ?
पुराने लोग बताते थे कि अंग्रेजों के राज में पूरी गंगा निर्मल थी ही।सम्राट् अकबर रोज गंगा जल ही पीता था।
  मेरी तो राय है कि गंगा पर बांध -नहर बना कर जो उसकी अविरलता बाधित की गयी है,उसे हटाया जाना चाहिए।
उससे संबंधित राज्यों को जो आर्थिक क्षति हो ,उसकी पूत्र्ति गंगा टैकस लगा कर पूरा किया जाए।
अन्यथा गंगा के दूषित हाते जाने का नतीजा यह होगा कि गंगा के किनारे की करोड़ा आबादी कैंसर की शिकार होकर काल के गाल में समा जाएगी।   

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