50 करोड़ रुपए से अधिक के सारे कर्जों का बैंकों ने फारेंसिक आॅडिट कराना शुरू कर दिया है।
यदि इस तरह के आॅडिट में इस बात की आशंका दिखी कि कर्ज की वापसी की संभावना कम है तो वैसे मामलों को जांच एजेंसियों को सांैप दिया जाएगा।
साथ ही 250 करोड़ रुपए से अधिक के कर्जों पर अलग से नजर रखी जा रहा है।
देखा जा रहा है कि कहीं कर्ज देने की नियम को तोड़ा तो नहीं गया है।
यानी आने वाले दिनों में ऐसे कर्जखारों की नींद हराम हो सकती है जिनका इरादा कर्ज वापस करने का कभी नहीं रहा।
साथ ही ऐसे मामलों में वैसे वी.वी.आई.पी.भी बेनकाब हो सकते हैं जिन लोगों ने अपने प्रभाव का दुरुपयोग करके ऐसे लोगों को भारी कर्ज दिलवाए जिनकी कर्ज वापसी की क्षमता काफी कम है।
यदि इस तरह के आॅडिट में इस बात की आशंका दिखी कि कर्ज की वापसी की संभावना कम है तो वैसे मामलों को जांच एजेंसियों को सांैप दिया जाएगा।
साथ ही 250 करोड़ रुपए से अधिक के कर्जों पर अलग से नजर रखी जा रहा है।
देखा जा रहा है कि कहीं कर्ज देने की नियम को तोड़ा तो नहीं गया है।
यानी आने वाले दिनों में ऐसे कर्जखारों की नींद हराम हो सकती है जिनका इरादा कर्ज वापस करने का कभी नहीं रहा।
साथ ही ऐसे मामलों में वैसे वी.वी.आई.पी.भी बेनकाब हो सकते हैं जिन लोगों ने अपने प्रभाव का दुरुपयोग करके ऐसे लोगों को भारी कर्ज दिलवाए जिनकी कर्ज वापसी की क्षमता काफी कम है।
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