मंगलवार, 29 मई 2018

 अमरीका में स्मार्ट फोन की जगह अब ‘लाइट फोन; यानी हल्के फोन का चलन बढ़ रहा है।
 स्मार्ट फोन की बुराइयों से परेशान होकर कई अमरीकी अब ऐसा कर रहे हैं।
हालांंकि एप्पल के सह संस्थापक स्टीव जाॅब्स को तो इसकी बुराइयों का अनुमान पहले से ही था।इसीलिए उन्होंने  कभी अपने परिवार के बच्चों को स्मार्ट फोन का इस्तेमाल करने नहीं दिया।
 वे तो इसकी बुराइयों के परिचित थे ही।बाद के रिसर्च से तो पता चला कि यह किसी भी अन्य नशा से अधिक तगड़ा नशा है।
 जब पूरा अमरीका स्मार्ट फोन के नशे में डूब गया, 
लोगों की जीवन शैली बदलने लगी, आपसी संबंधों पर असर पड़ने लगा ,बच्चे बर्बाद होने लगे  तो एक बार फिर वहां के कुछ लोग पुराने वाले साधारण मोबाइल  फोन पर आ रहे हैं।
नये ‘लाइट फोन’ से, जिसे कुछ लोग मजाक में  ‘डम्ब फोन’ भी कह रहे हैं, सिर्फ बातचीत की जा सकती है और संदेश भेजे जा सकते हैं।एक दो और छोटे काम।
 पता नही,ं भारत में यह ‘वापसी’  कब होगी  ?
क्योंकि यहां भी लोग उसी तरह के नशे में डूबे हुए हैं।इस देश में भी करीब 34 करोड़ लोग स्मार्ट फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं।
अनेक लोग घर आए मेहमान को अपने बैठकखाने में बैठा कर खुद स्मार्ट फोन को अपना समय देने लगते  हैं।यदि मेहमान के पास भी है तो वे भी वहीं स्मार्ट फोन पर व्यस्त हो जा रहे हैं।पहले जैसी बातचीत नहीं होती।
  आचार्य रजनीश का  1969 या उसके बाद का एक प्रवचन मुझे याद आ रहा है।
 अन्य बातों के अलावा उन्होंने अमरीका के अनाज के बारे में एक बात कही थी ।उन्होंने कहा कि वहां की दुकानों में कुछ अनाज ऐसे भी मिलते हैं जिन पर लगी तख्ती पर  यह लिखा होता है कि ये जैविक खाद से उपजाए गए हैं।
मेरे लिए यह खबर थी।
तब हम  भारत के लोग रासायनिक खाद से बढ़ी पैदावार से खुश हो रहे थे।यानी एक खास तरह से नशे में थे।उधर अमरिका नशा तब तक उतर चुका था।
  अब जाकर इस देश में जैविक खाद पर अधिक जोर दिया जाने लगा है जब रासायनिक खाद व कीटनाशक दवाएं  हमारा बहुत नुकसान कर चुके हंै ।
 यानी हमारा नशा जरा देर से उतरता है।
   हम लोग जब खुद को और अपने बच्चों को स्मार्ट फोन से कुछ और बर्बाद कर चुके होंगे तब जाकर शायद  एक बार फिर  ‘लाइट फोन’ यानी ‘डम्ब फोन’ की ओर लौटेंगे। 

  

कोई टिप्पणी नहीं: